आज तीसरे दिन भी दिल्ली और आसपास के शहरों पर धूल, धुएँ और कुहासे का मिश्रण कोहरे के रूप में छाया रहा। दिल्ली का प्रदूषण ग्लोबल हेडलाइन्स बना हुआ है। दिल्ली वालों की ज़ुबान पर सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण है। लोग बचने के उपाय तलाश रहे हैं। हालात यह हैं कि हर किसी को मुंह पर कपड़ा या मास्क लगाना पड़ रहा है। इस पर व्हाट्स एप पर एक संदेश खूब फैलाया जा रहा है कि “घोलकर ज़हर खुद ही हवाओं में, हर शख़्स मुँह छुपाए घूम रहा है”।
यह पंक्तियाँ किसी को मज़ाक लग सकती हैं तो कोई इनके लिए वाह-वाह कहेगा। संजीदगी से स्थिति पर अगर नज़र डालें तो कहीं ना कहीं दिल्ली को गैस चैंबर में तब्दील करने में इंसानी भूमिका सबसे अधिक है। दुर्भाग्य से सरकारी एजेंसियां, मीडिया और अन्य संगठन तभी जागते हैं जब हालात जानलेवा बन जाते हैं।
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बीते कई वर्षों से दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। हर वर्ष प्रदूषण नए रिकॉर्ड बना रहा है फिर भी उपाय समय रहते क्यूँ नहीं किए जाते यह सवाल हर दिल्ली वाले के मन में है। सितंबर के आखिर से दिल्ली में प्रदूषण का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ जो बीते तीन दिनों में चरम पर पहुँच गया।
दिल्ली में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हेल्थ इमर्जेंसी की घोषणा पहले ही कर दी है। एहतियात के तौर पर दिल्ली में रविवार 11 नवंबर तक स्कूलों को बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। एनजीटी ने दिल्ली में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। दिल्ली से होकर अन्य राज्यों को जाने वाली ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।
दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद में अगले 24 घंटों तक प्रदूषण के हालात इसी तरह से खतरनाक बने रहेंगे। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 24 घंटों के पश्चात उत्तर-पश्चिमी हवाएँ कुछ तेज़ होंगी जिससे धुंध कम होगी और भीषण प्रदूषण से तात्कालिक राहत मिलेगी। लेकिन यह राहत बहुत मामूली और कम समय के लिए होगी। 13 नवंबर से फिर से प्रदूषण रौद्र रूप धारण करेगा और दिल्ली को डराएगा।
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