[Hindi] मॉनसून 2016 को लेकर आशान्वित हैं स्काइमेट के सीईओ जतिन सिंह

May 23, 2016 5:15 PM | Skymet Weather Team

बीते दो वर्षों के कमजोर मॉनसून, वर्तमान में जारी भीषण गर्मी के बीच हर कोई इस बात को लेकर उत्सुक है कि भारत में मॉनसून कब दस्तक देगा। आईएमडी ने मॉनसून के आने में एक हफ्ते की देरी की घोषणा की है। हालांकि उनका अभी भी यह मानना है कि मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य से बेहतर होगा। स्काइमेट ने मॉनसून के पहले आने का अनुमान व्यक्त किया है। इन्हीं सब मुद्दों पर स्काइमेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जतिन सिंह ने आरुषि बेदी को दिये साक्षात्कार में विस्तार से बातचीत की:

मॉनसून भारत में कब दस्तक देगा इस बारे में आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान को कई बार संशोधित किया है। इसके पीछे वजह क्या है?

भारत में मॉनसून के आगमन के आंकलन के लिए आईएमडी ओब्जेक्टिव पद्धति का इस्तेमाल सब्जेक्टिव ढंग से करता है। मॉनसून के आगमन का समय घोषित करने के लिए 5 मापदण्डों का प्रयोग किया जाता है। इनमें से एक मापदंड के रूख में परिवर्तन आया है जिससे उन्होंने मॉनसून के आगमन में एक हफ्ते के विलंब का अनुमान लगाया है।

लेकिन आपका पूर्वानुमान कहता है कि मॉनसून का आगमन 30 मई को हो जाएगा। आपके आंकलन की पद्धति आईएमडी से भिन्न कैसे है?

इस समय आईएमडी और हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मापदण्डों में कोई भिन्नता नहीं है। मैं आईएमडी के मानकों का ही अनुसरण करता हूँ। फर्क सिर्फ इतना है कि हम अपने विश्लेषण में इन मापदण्डों का इस्तेमाल सबजेक्टिव ढंग से नहीं करते हैं। केरल में मॉनसून के आने की घोषणा से पहले हमें बारिश और हवा के रूख, आर्द्रता तथा आउटगोइंग लॉन्ग वेब रेडियेशन जैसे निश्चित मापदण्डों का ध्यान रखना पड़ता है। बारिश का अध्ययन करने वाले मॉडल आने वाले दिनों में 28-30 मई और 5-6 जून के दौरान अच्छी वर्षा के दो चरण दिखा रहे हैं। संभवतः आईएमडी मॉनसून 2016 की घोषणा के लिए 5-6 जून वाले बारिश के दूसरे चरण को अहमियत दे रहा है। हमने जो गलतियाँ पिछले वर्ष की उससे काफी कुछ सीखा भी। हम कह रहे हैं कि सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा की कुल संभावना 84% प्रतिशत है जबकि आईएमडी इसे 64% बता रहा है।

अब तक प्री-मॉनसूनी बारिश भी अच्छी नहीं रही है। क्या इसका भी मॉनसून पर कुछ प्रभाव पड़ेगा?

वैज्ञानिक तौर पर तो मॉनसून और प्री-मॉनसूनी बारिश के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। पिछले वर्ष प्री-मॉनसून सीजन में व्यापक रूप में वर्षा हुई थी लेकिन मॉनसून बेहद कमजोर रहा। दोनों समय बारिश के बिलकुल अलग कारण हैं। हमने पहले ही 106% वर्षा का अनुमान लगाया है जबकि आईएमडी ने 105% बारिश की संभावना जताई है। दीर्घावधि की 96 से 104% बारिश को सामान्य बारिश बना जाता है और 105 से 110% बारिश सामान्य से अधिक होती है। इससे ऊपर बारिश हो तो अत्यधिक वर्षा कहते हैं। मैं इस समय यह महसूस कर रहा हूँ कि हमें अपना पूर्वानुमान संशोधित कर इसे और बढ़ाना होगा। मेरा मानना है कि (पूर्वानुमान नहीं) इस बार 1994 के बाद अत्यधिक वर्षा हो सकती है। वर्ष 1994 के मॉनसून सीजन में 112% बारिश में दर्ज की गई थी। इस समय मौसम के सभी मापदंड बेहद अनुकूल हैं और उनके सच होने की भी काफी संभावना है। इसे देखते हुए हम कह सकते हैं कि हमारा और आईएमडी दोनों का पूर्वानुमान रूढ़िवादी है। हालांकि इस बात की भी संभावना से इंकार नहीं कर सकते कि मौसमी परिदृश्य बदल भी सकता है।

क्या अत्यधिक वर्षा भी किसानों के लिए एक समस्या नहीं है?

हमारा देश सौभाग्य से अधिक वर्षा को आत्मसात कर लेता है। ऐतिहासिक आंकड़ों को देखें तो अत्यधिक वर्षा वाले वर्षों में हमारी कृषि का उत्पादन 8-10 फीसद अधिक हुआ है। उत्पादन के नज़रिये से, भू-जल संग्रह बढ़ना, शहरी और औद्योगिक इस्तेमाल और संसाधनों की लागत आदि में अच्छी बारिश होने पर कमी आती है। हालांकि कुछ जगहों पर बाढ़ की भी आशंका रहती है। बाढ़ तत्काल के लिए परेशानी का कारण तो है लेकिन लंबे समय में इसके कई लाभ मिलते हैं। बाढ़ से मैदानी भागों में भूमिगत जल का स्तर बेहतर हो जाता है। सूखे से खाद्यान्न उत्पादन में 7% तक की कमी आती है। कृषि, सोना और सीमेंट आदि इक्विटी में इस वर्ष बारिश के चलते उछाल देखने को मिलेगा। इससे इन क्षेत्रों को व्यवस्थित होने में मदद मिलेगी।

हाल ही में तमिलनाडु के लिए जारी की गई चक्रवात की चेतावनी के बारे में क्या कहेंगे?

प्री-मॉनसून सीजन में हर वर्ष औसतन एक चक्रवात आता है। यह जलवायु से जुड़ी घटना है। आमतौर पर इस समय चक्रवात बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में विकसित होता है और उत्तर-पूर्वी दिशा में आगे बढ़ते हुए बर्मा का रुख करता है। हाल ही में आया रोआनू चक्रवाती तूफान श्रीलंका के दक्षिण में विकसित हुआ था। ऐसा नहीं है कि इससे पहले श्रीलंका के दक्षिण में चक्रवात नहीं बने हैं लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। चेन्नई को इस समय चक्रवात प्रभावित नहीं करता है। इससे पहले वर्ष 2010 की मई में भी इस बार की तरह की स्थितियाँ बनी थीं।

बीते 2 वर्षों के सूखे चलते आईएमडी बेहद दबाव में थी। इस वर्ष के पूर्वानुमान में आपको कितनी राजनीतिक दखल दिखती है?

कुछ वर्षों से, जबसे हम इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उसके बाद से मुझे नहीं लगता कि आईएमडी किसी दबाव में काम करती है। आईएमडी अब वैज्ञानिक ढंग से काफी अच्छा काम कर रही है, और उसका पूर्वानुमान सटीक तथा उत्कृष्ट हो रहा है। वर्ष 2014 के पहले उनके पूर्वानुमान की सत्यता 45% थी। मॉनसून के पूर्वानुमान प्रायः गलत सिद्ध होते थे। स्काइमेट ने वर्ष 2012 से पूर्वानुमान लगाना शुरू किया और हमने वर्ष 2014 से मॉनसून के अनुमान का भी रिस्क लिया।

निजी तौर पर मेरा मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में आईएमडी पर राजनीतिक दबाव कम हुआ और यह अधिक वैज्ञानिक हुआ है। उनके पूर्वानुमान तर्कसंगत रहे हैं। हालांकि एक बात मेरे समझ में नहीं आ रही है कि हाल की अपनी घोषणा में उन्होंने मॉनसून में देरी क्यों बताया है। मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि क्या ऐसा इसलिए है कि स्काइमेट ने मॉनसून के आने का समय 29-30 मई बताया और उन्हें हमसे अलग तिथि की घोषणा करनी थी यह कोई और वजह है।

मॉनसून का सर्दियों पर क्या प्रभाव देखा जाएगा?

यह ला नीना का चक्र शुरू होने का समय है। अल नीनो इस समय अपने उतार पर है और एक महीने में यह निष्क्रिय हो जाएगा। अल नीनो के तटस्थ होते ही ला नीना सक्रिय होगा। अल नीनो के तटस्थ होने पर हमारे अनुमान के सत्य होने की 60% संभावना है। संभावना है कि अक्टूबर में अच्छी बारिश होगी और इस बार कड़ाके की ठंड भी पड़ेगी। यही परिदृश्य जनवरी तक बना रहेगा। पिछले वर्ष सर्दी कम पड़ी क्योंकि अल नीनो ने उत्तरी गोलार्ध तक ठंडी हवाओं को आने से रोका। वो यह भी कहते हैं कि 2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। लेकिन मेरा मानना है कि साल के अंत तक यह धारणा बदलेगी।

 Image Credit: Indianexpress

 

 

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