उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में पिछले 2-3 दिनों से तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही थी। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब तक बदलाव नहीं दिखा है जबकि राजस्थान के कुछ भागों में पिछले 24 घंटों के दौरान पारा गिरा है।
स्काइमेट के अनुसार जम्मू कश्मीर के पास एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ था। इसके प्रभाव से पंजाब और आसपास के हिस्सों पर भी हवाओं में एक चक्रवाती सिस्टम विकसित हो गया था। इन दोनों सिस्टमों के चलते पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हवाओं में उत्तर-पश्चिमी ठंडी हवाएँ कम हो गई थीं जिससे इन भागों में तापमान ऊपर बना हुआ था।
इस समय उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में फिर से हवाओं का रुख बदलने वाला है। पश्चिमी विक्षोभ जहां जम्मू कश्मीर से आगे निकल रहा है वहीं पंजाब और आसपास के हिस्सों पर बना हवाओं में चक्रवाती सिस्टम भी निष्प्रभावी हो गया है। मौसमी सिस्टमों में इस बदलाव से एक बार फिर से पहाड़ों से उत्तर-पश्चिमी सर्द और शुष्क हवाएँ चलना शुरू होंगी जिससे न्यूनतम तापमान में व्यापक कमी आएगी।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान तथा उत्तरी पंजाब तक इन हवाओं का असर अगले 24 घंटों में दिखाई देगा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ भागों में 19 से 21 जनवरी के बीच न्यूनतम तापमान 2-3 डिग्री तक पहुँच सकता है। इससे ना सिर्फ सर्दी बढ़ेगी बल्कि कई जगहों पर पाला भी पड़ सकता है। इस दौरान सरसों और मटर सहित कई रबी फसलों के अलावा सब्जियों को यह पाला नुकसान पहुंचा सकता है। उत्तर भारत में गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
आपको बता दें कि जब न्यूनतम तापमान 4 डिग्री से कम हो, आसमान साफ हो और हवा की गति भी कम हो तब पाला पड़ने के लिए स्थितियां अनुकूल हो जाती हैं। ऐसे में पेड़-पौधों और फसलों की पत्तियों पर रात में गिरने वाली ओस की बूंदे सुबह तक बर्फ की तरह जम जाती हैं। यह बर्फ के रूप में दिखने वाली पानी की ठंडी परत फसलों को नुकसान पहुँचती है। हालांकि जनवरी में उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में पाला पड़ना सामान्य मौसमी घटना है।
Image Credit: Deccan Chronicle
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