चक्रवाती तूफान ‘सागर’ के बाद भारतीय जल क्षेत्र में एक अन्य मौसमी सिस्टम विकसित होता दिखाई दे रहा है। कोमोरिन के पास पिछले 48 घंटों से एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। यह सिस्टम अब आगे बढ़ रहा है और पश्चिमी दिशा में निकलते हुए इस समय अरब सागर के दक्षिण-पूर्वी तथा आसपास के हिस्सों पर पहुँच गया है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इसके आसपास जल क्षेत्र पर्याप्त है जिससे यह भी चक्रवाती तूफान बन सकता है।
इसके चक्रवाती तूफान बनने के आसार इसलिए हैं क्योंकि इसे लंबा समुद्री सफर तय करना है। अगले 48 घंटों में यह सिस्टम निम्न दबाव बन जाएगा और 21 मई तक इसके डीप डिप्रेशन बनने के आसार हैं। अरब सागर में ही 22-23 मई को इसकी क्षमता और बढ़ेगी तथा यह चक्रवाती तूफान बन जाएगा। हालांकि इसकी निश्चित दिशा को लेकर अभी संशय है। यानि यह सिस्टम भी चक्रवात सागर के रास्ते पर निकलेगा या भारतीय तटों का रुख करेगा इसे लेकर मॉडल अलग-अलग संकेत कर रहे हैं।
एक ओर अमरीकी मॉडल स्काइमेट और अमरीकी मॉडल ईएनसीपी के अनुसार आगामी सिस्टम की दिशा भी सागर की तरह होगी और यह भी ओमान और यमन की ओर जाएगा। जबकि यूरोपियन मॉडल संकेत कर रहे हैं कि आगे बढ़ने के बाद यह अपनी राह बदलेगा और गुजरात के तटों के पास पहुंचेगा।
लेकिन स्काइमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ एवीएम जीपी शर्मा के अनुसार यह सिस्टम जिस जगह पर उठा है वह काफी नीचे है। लैटीट्यूड और लॉन्गीट्यूड के अनुसार यह 10 डिग्री नॉर्थ के भी दक्षिण में है जिससे इसके भारतीय तटों के पास आने की संभावना लगभग नहीं है। अगर इससे ऊपर बनता तो गुजरात और महाराष्ट्र की ओर आ सकता था।
हालांकि इस बारे में हम आगे भी अपडेट करते रहेंगे। आने वाले दिनों में इसकी दिशा और क्षमता के आधार पर यह विश्लेषण होगा कि यह सिस्टम किधर का रुख करेगा। फिलहाल आपको जानकारी दे दें कि अगर इस सीज़न का दूसरा चक्रवात विकसित होता है तो इसे माकूनू नाम दिया जाएगा।
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इस बीच संकेत इस बात के भी मिल रहे हैं कि इसके बाद भी एक तीसरा सिस्टम इस माह के आखिर तक विकसित हो सकता है। यह सिस्टम दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लिए रास्ता तैयार करेगा यानि मॉनसून को भारत के मुख्य भू-क्षेत्र यानि केरल में जल्द लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
फिलहाल यह सिस्टम चक्रवाती क्षमता में है और इसके प्रभाव से दक्षिण भारत के भागों में प्री-मॉनसून वर्षा तेज हो गई है। आगे भी वर्षा जारी रह सकती है। हालांकि यह सिस्टम जैसे ही आगे निकलेगा और पश्चिमी तटों से दूर जाएगा, दक्षिण भारत के भागों में बारिश कुछ कम हो जाएगी क्योंकि यह आर्द्र हवाओं को यह सिस्टम अपनी ओर खींच लेगा।
Image credit: DailyMail
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