सीजन का पहला सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों पर पहुंचा, जिसके परिणामस्वरूप जम्मू कश्मीर से लेकर गिलगित, बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश तक भारी बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई।
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से मैदानी इलाकों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हुआ। यह सिस्टम पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी राजस्थान पर था। इन दोनों के संयुक्त प्रभाव से न सिर्फ पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश हुई बल्कि मैदानी इलाकों में पंजाब लेकर हरियाणा, उत्तर और पूर्वी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बादलों की गर्जना के साथ मध्यम से भारी बारिश हुई। कुछ इलाकों में ओले भी गिरे।
अब उत्तर-पश्चिम भारत के भागों में तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस नीचे जाएगा। बारिश के चलते दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के तमाम शहरों में प्रदूषण में व्यापक सुधार हुआ और वायु गुणवत्ता सूचकांक काफी बेहतर हो गया है। वर्तमान परिदृश्यों के आधार पर यह अनुमान है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इससे सटे शहरों पर अगले दो-तीन दिनों तक हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना रहेगी जिससे प्रदूषण में बढ़ोतरी नहीं होगी और यह निचले स्तर पर रहेगा। हालांकि यह अभी भी स्वास्थ्य के लिए घातक स्तर है।
17 नवंबर तक पहाड़ों पर भी कुछ इलाकों में बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां बनी रहेंगी। उसके बाद 18 नवंबर से मौसमी सिस्टम कमजोर हो जाएंगे या आगे निकल जाएंगे तब उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों पर हुई ताजा बर्फबारी की ठंडक उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ मैदानी इलाकों पर पहुंचेगी, जिससे 18 नवंबर से दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी शहरों में रात के तापमान में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। सुबह और रात की ठंडक बढ़ जाएगी।
दक्षिण भारत पर सक्रिय मॉनसून
उधर दक्षिण भारत के भागों पर मिनी मॉनसून यानी उत्तर-पूर्वी मानसून सक्रिय बना हुआ है, जिससे तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटीय भागों में भारी वर्षा की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। हाल के 24-48 घंटों की अवधि में नेल्लोर, कवली, तिरुपति, पुदुचेरी, परंजीपेट्टई और तूतीकोरिन में मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई है। चेन्नई और बेंगलुरु समेत मछलीपट्टनम, कोडईकनाल, कोयंबटूर, कुन्नूर और अतिरामपट्टिनम में भी अच्छी वर्षा हुई है।
वर्तमान मौसमी स्थितियों के आधार पर हमारा अनुमान है कि आगामी 24 48 घंटों तक बंगाल की खाड़ी से पूर्वी हवाओं का प्रवाह दक्षिणी राज्यों पर बना रहेगा जिससे उत्तर-पूर्वी मानसून लगातार दशक रहेगा और दक्षिणी आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में मध्यम से भारी वर्षा की गतिविधियां बरकरार रहेंगी।
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