भारत में प्री-मॉनसून सीजन को बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती सीजन शुरू होने के तौर पर भी जाना जाता है। हालांकि मार्च में चक्रवात आने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन अप्रैल के मध्य आते-आते संभाव्यता बढ़ती जाती है। इसी तरह मई में चक्रवात आने की संभावना अप्रैल की तुलना में ज्यादा होती है। ऐसा भी देखा गया है कि जून में भी चक्रवाती तूफान विकसित हुए। ऐसा मॉनसून के कमज़ोर होने या मॉनसून के आने में देरी के कारण होता है।
वर्तमान समय की बात करें तो इस बार प्री-मॉनसून सीजन में अब तक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में एक भी चक्रवात विकसित नहीं हुआ है। हालांकि अब चक्रवात का समय शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं। बंगाल की खाड़ी में कुछ हलचल शुरू हो गई है। मौसम से जुड़े मॉडल संकेत कर रहे हैं कि बंगाल की खाड़ी में 23 अप्रैल को एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो सकता है। उसके बाद चक्रवात बनने में यह एक हफ्ते से अधिक का समय ले सकता है।
बंगाल की खाड़ी के सुदूर दक्षिण-पूर्व में यह सिस्टम आकार लेता दिखाई दे रहा है। हालांकि यह अभी शुरुआती अवस्था में है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार संभावना है कि 24 अप्रैल को यह सिस्टम और व्यवस्थित रूप ले लेगा और 25 अप्रैल तक इसके निम्न दबाव बनने के संकेत मिल रहे हैं। उसके बाद क्रमशः यह सशक्त होता रहेगा और धीरे-धीरे उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। यह सिस्टम डिप्रेशन बन जाएगा और यह इस सीजन का पहला चक्रवाती तूफान होगा।
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मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि 26 अप्रैल तक डिप्रेशन बन जाएगा। जिस समय यह डीप डिप्रेशन बनेगा उस दौरान, अपनी दिशा बदल सकता है। डीप डिप्रेशन बनने तक और आगे बढ़ने के बाद भी यह भारत के तटों से दूर रहेगा। अब तक का आकलन यह है कि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र सुरक्षित रहेंगे। यह समुद्री सिस्टम आगे बढ़ते हुए 28 अप्रैल तक बंगाल की खाड़ी के मध्य तक पहुंच सकता है। इसी दौरान यह एक कमज़ोर चक्रवाती तूफान बन जाएगा। 29 और 30 अप्रैल को बंगाल की खाड़ी के मध्य और इससे सटे उत्तर-पूर्वी भागों में पहुंचेगा।
चक्रवात के 1 मई को बांग्लादेश और म्यांमार के पास अराकान के ताओं के करीब पहुंचने की आशंका है। क्योंकि यह सिस्टम लंबी समुद्री यात्रा करेगा और समुद्र की सतह का तापमान इस समय 29 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है इसलिए इसके चक्रवाती तूफान बनने की संभावना प्रबल है। हालांकि सभी सकारात्मक स्थितियों के बावजूद इसके भीषण चक्रवात बनने के आसार काफी कम हैं।
अप्रैल महीने में बनने वाले चक्रवाती तूफान प्रायः बंगाल की खाड़ी के सुदूर दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के पास विकसित होते हैं। गौरतलब है कि 0 और 5 डिग्री के बीच भूमध्य रेखा के दोनों ओर कोई चक्रवाती तूफान विकसित नहीं होता। अगर यहां कोई तूफान बनता भी है तो वह जल्द ही अपना प्रभाव खो देता है और कमज़ोर हो जाता है।
एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी है कि अप्रैल महीने में बनने वाले चक्रवाती तूफान शुरुआत में उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढ़ते हैं। भारतीय तट के करीब पहुंचने के बाद अपनी दिशा बदल कर बांग्लादेश और म्यांमार के नजदीक अराकान तट की तरफ निकल जाते हैं। अप्रैल में यह बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई चक्रवाती तूफान सीधे तौर पर भारत के पूर्वी तटों पर लैंडफॉल करे।
Image Credit: Daily Mail
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