बंगाल की खाड़ी के मध्य पूर्व में बना डीप डिप्रेशन लगातार प्रभावी होता रहा और शनिवार की रात में इसने चक्रवात का रूप धारण कर लिया। हिन्द महासागर में इस सीज़न का यह पहला चक्रवाती तूफान है। तूफान मारुथा 26 किलोमीटर प्रतिघंटे की दर से आगे बढ़ रहा है। मारुथा इस समय अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के माया बंदर से 325 किलोमीटर पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम में जबकि म्यांमार से 520 किलोमीटर दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में है।
स्काइमेट के अनुसार चक्रवात मारुथा अगले कुछ घंटों के दौरान लगातार सशक्त होता रहेगा लेकिन इसके सीवियर साइक्लोन यानि भीषण चक्रवाती तूफान का रूप लेने की आशंका नहीं है। इस सिस्टम की समुद्री यात्रा अब अधिक नहीं बची है और हवा की गति में भी कमी आ रही है जिससे अनुमान है कि इसके भीषण चक्रवात का रूप धारण करने की संभावना कम है। इसके अलावा फिलीपीन्स के नजदीक भी एक अन्य निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है जो नमी को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है।
चक्रवात मारुथा उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिशा में आगे निकल रहा है और यह 17 अप्रैल की सुबह सित्त्वे और सैंडवे के बीच से म्यांमार के तटों को पार करेगा। लैंडफाल के समय इस सिस्टम के प्रभाव से देश के तटीय भागों में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की जाएगी। इस दौरान 60 से 70 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से तूफानी हवाएँ भी प्रभावित करेंगी। हवा की गति बीच-बीच में 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक जा सकती है।
चक्रवात मारुथा के चलते बंगाल की खाड़ी के समुद्री क्षेत्र में हलचल काफी अधिक बनी रहेगी। हालांकि यह सिस्टम भारत के पूर्वी तटीय भागों को विशेष रूप से प्रभावित नहीं करेगा लेकिन पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों विशेषकर नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा में कुछ स्थानों पर मध्यम वर्षा इसके चलते दर्ज की जा सकती है। इन राज्यों में कहीं-कहीं भारी बारिश के भी आसार हैं। ओड़ीशा और आंध्र प्रदेश के तटीय भागों में बादल छाए रह सकते हैं।
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