इस साल प्री-मॉनसून सीज़न में सेंट्रल इंडिया में बहुत अधिक बारिश हुई है। 1 मार्च से 11 मई के बीच मध्य भारत में सामान्य से 170% अधिक बारिश हुई है। हालांकि इस दौरान मध्य भारत के लगभग सभी इलाकों में बारिश ज़्यादा हुई है। सिर्फ गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ ऐसे इलाके हैं जहां बारिश में 49% की कमी है।
इस समय मध्य भारत के भागों में बारिश का मौसम बना हुआ है। इसका कारण है विदर्भ से आंतरिक तमिलनाडु तक बनी एक ट्रफ।
इसी के कारण पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में गरज के साथ प्री-मॉनसून वर्षा दर्ज की गई। विदर्भ और मध्य महाराष्ट्र में भी छिटपुट जगहों पर हल्की बारिश देखने को मिली।
इस बेमौसमी बरसात के कारण ही विदर्भ, दक्षिणी राजस्थान, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र और गुजरात से लू अभी दूर है क्योंकि तापमान में गिरावट आई है।
मई के दूसरे हफ्ते तक तापमान आमतौर पर 45 डिग्री को पार कर जाता है। लेकिन इस साल अधिकतम तापमान शायद ही 45 डिग्री से ऊपर पहुंचा हो। इस समय भी प्री-मॉनसून बारिश का जो मौसम बना हुआ है उसके कारण मध्य भारत पर लू का प्रकोप कम से कम अगले 3-4 दिनों तक नहीं दिखेगा।
सेंट्रल इंडिया से साउथ इंडिया तक बनी ट्रफ के कारण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बारिश जारी रहने की उम्मीद है। महाराष्ट्र में 14 और 15 मई को बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
उसके बाद 16 मई से मौसम लगभग शुष्क हो जाएगा और विदर्भ, मराठवाड़ा तथा उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में एक-दो स्थानों पर हीट वेब शुरू हो जाएगी।
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