दक्षिणपश्चिम मानसून 2018 में कुल 9% वर्षा की कमी दर्ज की गई है, जिसे सामान्य वर्षा से कम माना जाता है। वर्षा की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य झारखंड और गुजरात रहे जहां 28% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसके बाद बिहार में 25% और पश्चिम बंगाल में 21% कम बारिश हुई।
इतना ही नहीं, कई अन्य कृषि प्रधान राज्यों में भी वर्षा की कमी 8% -12% तक रही। जैसे की आंध्र प्रदेश में 12%, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 10%, और महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सामान्य से 8% कम बारिश हुई।
वर्तमान परिदृश्य को मद्देनजर रखते हुए कहा जा सकता है की मानसून के मौसम के बाद बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे राज्य अभी भी बारिश की कमी से जूझ रहे हैं। वर्षा में यह कमी सीधे मिट्टी में मौजूद नमी को प्रभावित करेगी जिससे आगामी रबी की फसल भी प्रभावित हो सकती है, जिसे शीतकालीन फसलों के रूप में भी जाना जाता है।
जब इन राज्यों में दक्षिणपश्चिम मानसून के मौसम में अच्छी बारिश होती है, तो इससे मिट्टी में नमी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहती है। मानसून के मौसम के बाद होने वाली अच्छी बारिश अधिक फायदेमंद साबित होती है क्योंकि इससे निश्चित रूप से रबी की फसल बेहतर तरीके से उगती है।
लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए, उपर्युक्त चार राज्यों में सूखे जैसे हालात हैं, जिससे रबी की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा अगले 10-15 दिनों के दौरान इन राज्यों में किसी भी महत्वपूर्ण वर्षा गतिविधि की उम्मीद नहीं है। इसलिए अक्टूबर का महीना बारिश की कमी के साथ विदा होने की संभावना है।
रबी सत्र में भी इसका साफ असर देखने को मिलेगा। अगर सिंचाई सुविधा अच्छी रही तो रबी की फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है। लेकिन अफसोस की बात है की ऐसा नहीं है और ये राज्य फसलों के लिए बड़े पैमाने पर बारिश पर निर्भर हैं।
Image Credit: Inside Small Business
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