उत्तर प्रदेश देश के प्रमुख कृषि राज्यों में से एक है जो खरीफ फसलों के लिए मॉनसून की बारिश पर काफी हद तक निर्भर रहता है। वर्ष 2018 के मॉनसून ने उत्तर प्रदेश को परेशान किया है। आंकड़ों में अगर देखें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब तक सामान्य से 2 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश भी बहुत पीछे नहीं है। यहाँ भी सामान्य से महज़ 14 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
जून में पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 60 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी 48 फीसदी की कमी रह गई थी। जुलाई में हालात बदले और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुल वर्षा सामान्य से 19 प्रतिशत कम पर आ गई। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में झमाझम बारिश के कारण जुलाई 8 प्रतिशत ऊपर पहुँच गया। अगस्त भी बेहतर रहा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 8 फीसदी कमी के साथ विदा हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1 फीसदी की कमी रही।
आंकड़े अब भले ही सामान्य के आसपास पहुँच गए हैं, लेकिन मॉनसून 2018 की चार महीनों की इस कहानी में उत्तर प्रदेश के लिए दर्द अधिक हैं। उत्तर प्रदेश की मुश्किल यह है कि एक तरफ जून में मॉनसून देरी से आया और पूरे महीने ना के बराबर बारिश रिकॉर्ड की गई। जुलाई में हालात बदले। बारिश तेज़ हुई लेकिन इतनी तेज़ हुई कि कई जिलों में बाढ़ का संकट पैदा हो गया। अगस्त में भी बाढ़ के हालात और बिगड़े। कानपुर, लखनऊ, बरेली, बाराबंकी, सहित तराई वाले और मध्य जिलों में बाढ़ ने खेती के साथ-साथ लोगों के लिए भी मुश्किलें पैदा की।
सितंबर में मॉनसून का रुख पूरे देश की तरह ही उत्तर प्रदेश के लिए भी बदला और बारिश में भारी कमी आई। अब तक उत्तर प्रदेश में सितंबर में जितनी बारिश होनी थी उससे लगभग आधी बारिश दर्ज की गई है। अब मॉनसून सीज़न समाप्त होने में आधिकारिक रूप से महज़ दो दिन बचे हैं और आने वाले दिनों में हालात बदलते दिखाई नहीं दे रहे हैं।
इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, आगरा, मेरठ, बुलंदशहर, मेरठ सहित अधिकतर शहरों में इस समय दिन का तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है। इलाहाबाद, बांदा, झाँसी, चित्रकूट सहित राज्य के दक्षिणी शहरों में अधिकतम तापमान 35 डिग्री के आसपास रिकॉर्ड किया जा रहा है जो सामान्य से 2-3 डिग्री अधिक है।
दिन में तेज़ धूप के कारण राज्य में परेशान करने वाली गर्मी से लोगों को सामना करना पड़ रहा है। खरीफ फसलें अब पकने को तैयार हैं और ऐसे में बारिश का पानी अनाज के लिए काफी अच्छा माना जाता है। लेकिन बारिश के पानी की उम्मीद कम से कम एक सप्ताह के लिए तो नहीं क्योंकि कोई प्रभावी मौसमी सिस्टम बनता दिखाई नहीं दे रहा है।
Image credit: ronnieborr
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