यह साल का वह समय है जब दिल्ली में प्रदूषण हर किसी को परेशान करता है क्योंकि इस समय तक राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण अपना रास्ता बनाना शुरू कर देता है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि दिल्ली वासी अब तक इस प्रदूषण से बचे हुए थे।
पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली सितंबर के आखिरी सप्ताह में ही जलनी शुरू हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद रुक-रुक कर होने वाली बारिश ने हवा की गुणवत्ता को खराब नहीं होने दिया।
इसके अलावा, पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी दिशा से चलने वाली हवाएँ भी पराली के कणों को दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश करने से रोक रही है। हालांकि, बीते 48 घंटों के दौरान, हवा के पैटर्न में बदलाव देखा गया है। राजधानी में अब पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी दिशा से हवाएँ चल रही है।
इसके बावजूद भी कुछ ऐसे कारक हैं जो प्रदूषण को बहुत अधिक नहीं बढ़ने दिया है और अभी भी वायु की गुणवत्ता 'मध्यम से संतोषजनक' श्रेणी में बनी हुई है।
आमतौर पर, निम्नलिखित कारक की वजह से वायु प्रदूषण होती है :
1. कम तापमान होने की वजह से धुंध और कोहरा का होना
2. शांत हवाएँ
3. उमस का बढ़ना
दिल्ली तथा एनसीआर के क्षेत्रों में इस समय अधिकतम तापमान उच्च रहने के साथ न्यूनतम तापमान 22-23 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। इसके अलावा, मध्यम हवाओं के साथ हल्की उमस भी देखने को मिल रही है। इन सभी कारकों ने ही अब तक दिल्लीवासियों को खराब वायु से बचाए हुए है।
Also Read In English: Know what has kept air pollution sluggish over Delhi and NCR so far
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में उत्तर-पश्चिमी हवाएँ 24 से 48 घंटों तक मध्यम रफ्तार में चलती रहेगी। इसके बाद, उत्तरी मैदानी इलाकों के निचले स्तरों में एक ट्रफ रेखा बनने के कारण, हवा की दिशा एक बार फिर पूर्वी-दक्षिणपूर्वी हो जाएगी। इस प्रकार, हमारा अनुमान है कि, 15 या 16 अक्टूबर तक दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण में ज्यादा वृद्धि नहीं देखी जाएगी।
Image Credit: Vox
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।
देश भर के मौसम का पूर्वानुमान जानने के लिए देखें वीडियो: