राजस्थान में पिछले दो तीन दिनों से बारिश की गतिविधियां अचानक काफी कम हो गई है। लेकिन दक्षिण पूर्वी जिलों में अलग-अलग स्थानों पर बारिश की गतिविधियां जारी है।
अब हमें उम्मीद है की पूर्वी जिलों में हल्की वर्षा तथा एक दो स्थानों पर मध्यम वर्षा जारी रह सकती है और वही, 26 से 28 सितंबर के बीच, पूर्वी राजस्थान में वर्षा की तीव्रता में कुछ वृद्धि हो सकती है जबकि पश्चिमी राजस्थान में मौसम ज़्यादातर शुष्क ही रहेगा।
उदयपुर, चित्तोरगढ़, कोटा, बूंदी, बारन, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा तथा टोंक में छिटपुट वर्षा की गतिविधियां बनी रहेंगी।
फसल सलाह
किसानों को सलाह दी जाती है की खेत में जल जमाव जैसी स्थितियों से बचने की पूर्ण व्यवस्था करें व जहां पानी की कमी हो वहाँ जल संग्रहण हेतु उचित उपाय करें। अत्यधिक नमी व आर्द्रता हो जाने के कारण फसलों में कीटो व रोगो का प्रकोप देखने को मिल रहा है, इसलिए फसलों की नियमित जांच अति आवश्यक है।
सब्जियाँ जैसे की बैंगन,टमाटर,गोभी की नर्सरी मे पौधों की पत्तियों मे लीफ माइनर कीट का प्रकोप पाया जा रहा है, जिसके कारण पत्तियों पर सफेद या हल्के हरे रंग की रेखा बन जाती है। इसके नियंत्रण हेतु थायोमिथोक्जाम कीटनाशक की 0.50 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करें।
तोरिया की बिजाई का यह उचित समय माना जाता है, लेकिन जिन क्षेत्रों में तापमान सामान्य से अधिक चल रहा हो, वहाँ अभी बिजाई न करें। धान के पौधों की पत्तियों पर होपर कीट का प्रकोप होने से पत्तियां सफेद होकर सूख जाती हैं।
इनके नियंत्रण के लिए डायमिथोएट की 2.5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। छिड़काव के 100 लीटर घोल में 30 मि.ली. सेन्डोविट भी मिलायें। इस समय ग्वार की फसल में उचित नमी बनाएँ रखना अति आवश्यक है, इसलिए वर्षा के अभाव वाले क्षेत्रों में फसल में अभी सिंचाई करते रहें।
साथ ही मौसम विशेषज्ञों की माने तो मॉनसून की विदाई इस आगामी हफ़्ते में काफी हद तक कम नज़र आ रही है।
Image Credit: The Hindu Business line
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