जोधपुर राजस्थान का एक बहुत सुंदर पारंपरिक शहर है। इसकी अनूठी विशेषताओं के कारण इस शहर को दो अलग नाम 'सन सिटी' और 'ब्लू सिटी' से भी जाना जाता है। 'सन सिटी' नाम जोधपुर के चमकीले धूप के मौसम के कारण दिया गया है, जबकि 'ब्लू सिटी' नाम शहर के मेहरानगढ़ किले के आसपास स्थित नीले रंग के घरों के कारण दिया गया है।
इस शहर की संस्कृति इतनी अनोखी है कि यहां बनी यादें हमेशा साथ रहती हैं। यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और यहां पर्यटकों को यादगार जीवन के अनुभव के लिए बहुत कुछ है। साथ ही, यह राज्य का दूसरा महानगरीय शहर भी है। बस यही नहीं, इन सब के अलावा अद्भुत और मनोरम स्थान, भव्य महल और किले भी हैं जो जोधपुर को एक शानदार पर्यटन स्थल बनाते हैं। लाल-भूरे रंग का यह शहर सभी मौसमों में दीप्तिमान दिखता है। राजस्थान के केंद्र में होने से यह जगह पर्यटकों के लिए और भी सुविधाजनक हो जाता है।
क्यूं जाना चाहिए जोधपुर ?
अगर आप जोधपुर जाने की सोच रहे तो आपके लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि आखिर क्यूं जाना चाहिए जोधपुर। तो हम आपको बताते हैं , यहां केवल पुराने किले ही नहीं बल्कि जोधपुर शहर राजस्थान के शाही लिबासों और खान-पान के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही, इस मज़ेदार शहर में, बाज़ारों, मंदिरों और घूमी गलियों से लेकर सब कुछ काफी प्रभावशाली है। यहां यात्रा करने पर, आप इस बात का अनुभव कर पाएंगे कि राजस्थान पर्यटन की टैगलाइन, 'पधारो म्हारो देश’ के लिए जोधपुर शहर बिलकुल सटीक है। यह एक ऐसा शहर है जहां घूमने के बाद आपको मस्ती, हँसी और अच्छे समय से भरी यादों की अनुभूति होगी।
जोधपुर का इतिहास
पुराने रिकॉर्ड्स के मुताबिक, अहीरों को मारवाड़ के पहले निवासी के रूप में जाना जाता था। उनके बाद, राजपूत थे जिन्होंने अपना शासन स्थापित किया और राजपूत के शासन में ही जोधपुर शहर की स्थापना हुई। आपको बता दें कि, साल 1459 में राठौर वंश के राव जोधा नाम के एक राजपूत द्वारा इस शहर की स्थापना की गयी थी।
जिसके बाद साल 1581 में राव चन्द्रसेन राठौड़ की मृत्यु हो गई थी और उनकी मृत्यु के बाद इस राज्य को महान मुगल सम्राट अकबर ने हड़प लिया था। समय बीतता गया और अकबर के बाद फिर औरंगजेब ने महाराजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था। उसके बाद जब औरंगजेब की भी मृत्यु हो गई, तो आख़िरकार जोधपुर के पूर्व शासक महाराजा अजीत सिंह ने सही राजा के रूप में सिंहासन संभाला।
ब्रिटिश राज और स्वतंत्रता के बाद की कहानी
ऐसा कहा जाता है कि ब्रिटिश राज के दौरान, जोधपुर में राजपुताना समाज के पास लगभग 36,071 वर्ग मील का सबसे बड़ा भूमि क्षेत्र था। वहीं उस दौरान, मारवाड़ी व्यापारियों ने अपने व्यापारिक कौशल के कारण देश के व्यापार में प्रभुत्व का स्थान हासिल कर लिया था।
1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर के साथ जोधपुर भारत के संघ में विलीन हो गया। इन सब में दिलचस्प बात यह है कि, विभाजन के समय जोधपुर के तत्कालीन शासक हनवंत सिंह भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे। फिर देश के शीर्ष नेताओं में से एक सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ उनकी चर्चा के बाद ही, जोधपुर को राजस्थान में शामिल किया गया और वह स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया।
जोधपुर में तथा उसके आसपास घूमे जाने वाली जगहें
मेहरानगढ़ किला: मेहरानगढ़ किला जोधपुर के सबसे लोकप्रिय किलों में से एक है। यह किला मोती महल, फूल महल, शीशा महल, और झाँकी महल जैसे सुंदर महलों के लिए प्रसिद्ध है। किले में सात फाटक हैं जिनका ऐतिहासिक महत्व है। यह शहर से लगभग 400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
जसवंत थड़ा: यह जगह महाराज जसवंत सिंह की याद में बनाया गया था। इस जगह की सुंदरता बस करामाती है और अगर आप किसी शानदार यात्रा की तलाश में हैं तो आपके लिए इस जगह की यात्रा सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है।
मंडोर बगीचा: यह जगह आपके किसी ख़ास यानि प्रियजनों के साथ घूमने के लिए सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। यह स्थान पिकनिक के लिए भी बेहद खूबसूरत हो सकता है। इन सब के अलावा, यहां मौजूद मूर्तियों के कारण, यह जगह किसी खूबसूरत स्थानों से कम नहीं है।
जोधपुर और उसके आसपास की चीजें
कायलाना झील: यह मूल रूप से एक कृत्रिम (खुद से बनाया गया ) झील है जिसका निर्माण 1872 में प्रताप सिंह ने किया था। यह झील सबसे अधिक घूमने वाली जगहों में से एक है। इस झील की खूबसूरती के अनुभव के लिए आप अपने प्रियजनों के साथ यहां जा सकते हैं।
राव जोधा चट्टानी मरुस्थल पार्क: इस जगह का निर्माण 2006 में किया गया था। इस पार्क का उद्देश्य विशेष रूप से उस चट्टानी क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना था जो किले के पास था। यह एक विशाल पार्क है, जो कि विशाल मेहरानगढ़ किले के 200 फुट के क्षेत्र में स्थित है।
घंटाघर: यह शहर के प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। महाराजा सरदार सिंह के कार्यकाल के दौरान इस मीनार का निर्माण साल 1880 से 1911 के बीच हुआ था। यहाँ से, आप प्राकृतिक सुंदरता का विशाल दृश्य देख सकते हैं।
जोधपुर और उसके आसपास होने वाले कार्यक्रम
शीतकालीन महोत्सव: यह त्यौहार राजस्थान की परंपरा के साथ-साथ समृद्ध संस्कृति का स्वरुप है। यह त्यौहार तीन दिनों तक जारी रहता है। किसी के लिए भी, इस त्यौहार का उल्लासपूर्ण उत्साह अनुभव से बाहर और अद्भुत है।
विश्व संगीत समारोह: यह मूल रूप से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है जो राजस्थान के उदयपुर में आयोजित होता है। इस फेस्टिवल में, आप दुनिया भर से ऐसे कलाकारों को देख सकते हैं जो यहां प्रदर्शन करने आते हैं। यहां के इन्ही खूबियों के कारण, आपको भी इस विश्व संगीत समारोह में शामिल होना चाहिए।
कालबेलिया नृत्य महोत्सव: इस नृत्य महोत्सव का मुख्य उद्देश्य होता है एक आनंदमय कार्यक्रम की शुरुआत करना जो कालबेलिया संस्कृति का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा, सांप के जहर के आसपास व्यापार करने के साथ-साथ सांपों को पकड़ने के व्यवसाय ने उन्हें जोगीरा की उपाधि दी।
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मौसम के लिहाज़ से जोधपुर घूमने का सही समय
अगर आप जोधपुर घूमने की सोच रहे हैं तो, यहां घूमने का अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बेहतर समय होता है। क्यूंकि, गर्मी के महीनों की असहनीय गर्मी की तुलना में इस दौरान मौसम आरामदायक रहता है। अक्टूबर से मार्च का समय दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए बहुत बढ़िया है। और पढ़ें...
जोधपुर का भोजन और लिबास
राजस्थान की शाही भूमि अपनी संस्कृति और परंपराओं के मामले में काफी समृद्ध है। किसी भी क्षेत्र की संस्कृति के दो मजबूत पहलू उसके भोजन और वस्त्र होते हैं और आज भी जोधपुर इन मामलों में आपको निराश नहीं करेगा। यही नहीं, राजस्थानी खानों में प्रसिद्ध दाल बाटी चूरमा, मोहन थाल, लाल मास, मावा कचौरी, कलाकंद, प्याज़ की कचौरी जैसे कुछ शानदार भोजन के की बात आएगी तो राज्य में जोधपुर से अच्छी जगह शायद ही आपको मिल पाएगी।
अगर कपड़ों (लिबास) के बारे में बात करें तो राजस्थान (जोधपुर) के लोग आधुनिक पोशाक के साथ-साथ क्षेत्र के पारंपरिक कपड़ों का भी उतना ही समर्थन करते हैं। एक तरफ, पुरुषों के पारंपरिक परिधानों में जहाँ पगड़ी, अंगरखा, पायजामा और धोती शामिल हैं। वहीं, दूसरी ओर, महिलाएं घाघरा और चोली, ओढ़नी, आभूषण और जूटी पहनती हैं।
कैसे पहुंचे जोधपुर ?
जोधपुर जाने के लिए आप हवाई मार्ग, सड़क मार्ग या रेल मार्ग इन तीनों में से किसी का भी सहारा ले सकते हैं।
हवाई मार्ग: सबसे अच्छी बात यह है कि जोधपुर में अब अपना घरेलू हवाई अड्डा भी हो गया है जो कि मुख्य शहर से तक़रीबन 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहां से, आप अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए आसानी से कैब या बस ले सकते हैं। यह हवाई अड्डा दिल्ली, पुणे, मुंबई, चंडीगढ़ जैसे अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग: जोधपुर अन्य प्रमुख शहरों के साथ ट्रेन नेटवर्क के माध्यम से भी काफी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए, यदि आप ट्रेन से यात्रा करने की सोच रहे हैं तो यह न केवल सस्ती होगी बल्कि आपके लिए सुविधाजनक भी होगी। रेल मार्ग से जोधपुर पहुँचने के लिए रणकपुर एक्सप्रेस, जम्मू तवी विवेक एक्सप्रेस, रूनिका एक्सप्रेस, राजकोट एक्सप्रेस के अलावा और भी कई अच्छे विकल्प हैं।
सड़क मार्ग: सड़क के माध्यम से जोधपुर पूरा कनेक्टिविटी काफी शानदार है। इसलिए, यदि आप सड़क मार्ग से जोधपुर जाने की योजना बना रहे हैं तो यह आपके लिए एक सुविधाजनक अनुभव होगा। ब्लू सिटी के नाम से मशहूर यह शहर दिल्ली से 626 किमी , पुणे से 1,103 किमी, मुंबई से 729 किमी और चंडीगढ़ से 975 किमी की दूरी पर स्थित है।
Image credit: Mithila Tourism
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