पश्चिम बंगाल में प्री-मॉनसून सीज़न (1 मार्च से 31 मई) की शुरुआत बारिश के संदर्भ में बेहतर हुई है। पश्चिम बंगाल के दक्षिणी जिलों में अच्छी बारिश दर्ज की गई है।आंकड़ों के मुताबिक़, गंगीय पश्चिम बंगाल में 61 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। जबकि, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के क्षेत्रों में बारिश में 15 प्रतिशत की कमी रह गई है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में मार्च महीने के बाकी दिनों में मौसम शुष्क रहेगा। हालांकि, 30 और 31 मार्च को पश्चिम बंगाल के स्थानीय मौसम की स्थिति के कारण, राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है।
31 मार्च के आसपास एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बांग्लादेश और इससे सटे पश्चिम बंगाल के ऊपर बनेगा। जिसके 1 अप्रैल से सक्रिय होने की संभावना है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने विपरीत चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र का भी प्रभाव पश्चिम बंगाल के मौसम पर पड़ेगा। इन दोनों सिस्टमों के कारण पूर्वी भारत के राज्यों पर आर्द्र हवाएँ आएंगी जिससे वातावरण में नमी बढ़ जाएगी। इसके चलते अनुमान है कि सिलीगुड़ी, कलिम्पोंग, मालदा और जलपाईगुड़ी सहित कई इलाकों में बारिश की संभावना है।
2 से 4 अप्रैल के बीच राज्य के ज्यादातर इलाकों में गरज के साथ अच्छी बारिश होने के आसार हैं। इस दौरान डायमंड हार्बर, शांतिनिकेतन, बांकुरा, कोलकाता, बेहरामपुर, कोंटाई और मिदनापुर जैसी जगहों पर तेज़ हवाओं के साथ ओलावृष्टि और भारी बारिश की आशंका है। इस दौरान आकाशीय बिजली गिरने जैसी घटनाएँ हो सकती हैं। पश्चिम बंगाल पूर्वी भारत के उन क्षेत्रों में है जहां प्री-मॉनसून सीज़न में आँधी-तूफान और बादलों की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ बारिश होती है। इन गतिविधियों को 'नॉरवेस्टर' या 'कालबैशाखी' कहा जाता है।
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मौसम विशेषज्ञों के अनुसार कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल में बारिश की गतिविधियां 3 अप्रैल को सबसे ज़्यादा हो सकती हैं। जबकि 4 अप्रैल के बाद मौसम में बदलाव दिखाई देने लगेगा।
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