मॉनसून की विदाई से पहले से ही दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में बारिश लापता है। अक्तूबर और नवंबर में भी राजधानी दिल्ली को विशेष बारिश नहीं मिली। सितंबर और अक्तूबर के बीच का समय ऋतु में बदलाव का समय होता है। वर्षा ऋतु विदा हो रही होती है और शीत ऋतु का आगमन होता रहता है। मॉनसून के बाद अक्तूबर से फरवरी के बीच होने वाली बारिश को सर्दियों की बारिश के तौर पर माना जाता है।
हालांकि इस वर्ष की सर्दियाँ अब तक सूखी ही रही हैं। दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद में लोगों को सर्दी में अच्छी बारिश का इंतज़ार है। सर्दी के महीनों में औसत बारिश की बात करें तो दिल्ली में नवंबर में 4.9 मिलीमीटर, दिसम्बर में 9.4 मिलीमीटर, जनवरी में 19.4 मिलीमीटर और फरवरी में 22.1 मिलीमीटर वर्षा होती है।
जबकि इस सर्दी में हुई बारिश की बात करें तो नवंबर सूखा रहा। दिसम्बर में महज़ दो दिन 11 और 12 को बारिश हुई और मौसम केंद्र ने 7.4 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की। इसके बाद जनवरी अब सूखी है। जनवरी का पहला पखवाड़ा बीतने को है और अब तक बूँदाबाँदी भी नहीं हुई है। सर्दी का मौसम अपने आखिरी पड़ाव पर है और बारिश औसत से बहुत पीछे है। दिल्ली और एनसीआर में लोग अभी भी सर्दियों की बारिश के इंतज़ार में हैं।
दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में बारिश उत्तर भारत में आने वाले पश्चिमी विक्षोभ के चलते होती है और अब तक जम्मू कश्मीर के पास से कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ नहीं गुज़रा है जिससे दिल्ली मुख्यतः सूखी है। सर्दियों में प्रदूषण से परेशान दिल्ली को भी राहत बारिश से मिलती है, लेकिन इस बार बारिश नहीं हुई जिससे राजधानी में प्रदूषण ने लंबे समय तक लोगों की सांस पर पहरा लगाया।
फिलहाल हमारे पास अच्छी खबर है कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े में यानि 16-17 जनवरी के आसपास राजधानी में बारिश देखने को मिल सकती है। इस दौरान एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के करीब पहुंचेगा जिसके चलते वर्षा होगी। हालांकि इस सिस्टम का असर पर्वतीय राज्यों पर ही अधिक रहेगा और अच्छी बारिश या बर्फबारी पहाड़ों पर होने की संभावना है। लेकिन दिल्ली सहित मैदानी भागों में बारिश की तीव्रता हल्की ही रहेगी।
Image credit: ProKerala
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