मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीते कई दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ है। आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए प्री-मॉनसून सीज़न (1 मार्च से 31 मई) की शुरुआत अच्छी नहीं रही है। इसमें पूर्वी मध्य प्रदेश में 1 मार्च से 11 मार्च के बीच सामान्य से 48 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। छत्तीसगढ़ में इस दौरान जहां औसतन 4.1 मिलीमीटर बारिश होती है वहाँ 71% कम महज़ 1.2 मिलीमीटर बारिश हुई है। इसमें पश्चिमी मध्य प्रदेश में हालात बेहतर रहे और औसत से 9% ज़्यादा बारिश हुई है।
इस बीच मध्य भारत के इन दोनों राज्यों छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मौसम में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। दोनों राज्यों के कई इलाकों में 13 और 14 मार्च को बारिश की फुहारें देखने को मिल सकती हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के ऊपर एक कोन्फ़्लुएन्स जोन बन सकता है, जो राजस्थान के दक्षिण पश्चिम से छत्तीसगढ़ के मध्य के इलाकों तक जायेगा। जिसके कारण यहाँ बारिश हो सकती है।
स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार भारी बारिश के आसार बहुत कम हैं। हालांकि कहीं-कहीं गरज़ और झोंकदार हवाओं के साथ कुछ समय के लिए तेज़ बारिश की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। यह मौसमी घटनाएँ थोड़े समय के लिए और अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिलेंगी।
इस दौरान जिन प्रमुख इलाकों में मौसम में बदलाव दिखेगा उनमें हैं मध्य प्रदेश के मांडला, बालाघाट, सिवनी, उमरिया, शहडोल, जबलपुर और छत्तीसगढ़ के कोरिया, अंबिकापुर, राजनन्दगाँव। इन शहरों में हवाओं और गरज के साथ बारिश होगी। इसी के साथ भोपाल और इंदौर में भी हल्की बारिश होने के आसार हैं।
मौसम की सक्रियता के कारण प्रभावित इलाकों में न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री बढ़ सकता है। 15 मार्च से मौसम साफ़ होने के साथ उत्तर-पश्चिमी हवाएं एक बार फिर से आएंगी जिससे क्षेत्र के न्यूनतम तापमान में गिरावट होगी। अधिकतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं दिखेगा।
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