दक्षिण पश्चिम मॉनसून इस समय उत्तर और पूर्वी भारत में सक्रिय है। सक्रिय मॉनसून का सबसे अधिक असर उत्तर भारत में उत्तराखंड के अधिकांश भागों में देखा जा रहा है। बीते दो दिनों के दौरान उत्तराखंड के साथ-साथ जम्मू कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में भी बारिश की गतिविधियां जारी रहीं लेकिन मॉनसूनी बौछारों से उत्तराखंड सबसे अधिक भीगा, जहां अधिकांश जगहों पर मध्यम जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गई।
सोमवार की सुबह 8:30 से बीते 24 घंटों के दौरान उत्तराखंड के पंतनगरमें सबसे अधिक 83 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, नैनीताल में 38, हरिद्वार में 21 और देहरादून में 18 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। इससे सटे हिमाचल प्रदेश में भी इसी दौरान कई जगहों पर मध्यम बारिश हुई। राज्य की राजधानी शिमला में 24.3 मिमी, पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र मनाली में 18 और कुल्लू में 16 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। जम्मू कश्मीर में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई। राजधानी श्रीनगर में 10.2 मिमी तो पवित्र शक्ति पीठ वैष्णो देवी के पास मैदानी कस्बे कटरा में 10.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।
इस समय मॉनसून की अक्षीय रेखा अनूपगढ़, दिल्ली, सुल्तानपुर, गया और दिघा होते हुये बंगाल की खाड़ी में पहुँच रही है। इस समय इसका पश्चिमी सिरा बीते 2 दिनों के दौरान हिमालय की तराई वाले भागों से दक्षिणवर्ती होते हुये लगभग अपनी सामान्य जगह पर आ गया है जबकि इसका पूर्वी छोर बिहार और इससे आसपास के भागों पर बने एक चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के बीच से बंगाल की खाड़ी में पहुँच रहा है। मॉनसून की अक्षीय रेखा का पूर्वी छोर समान्यतः डाल्टनगंज होते हुये बंगाल की खाड़ी में जाता है लेकिन बिहार पर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के चलते पूर्व में यह उत्तरवर्ती है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर भारत में बना पश्चिमी विक्षोभ धीरे-धीरे पूर्व की दिशा में आगे बढ़ रहा है जिससे उत्तर के पर्वतीय राज्यों में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान वर्षा की गतिविधियां कम हो जाएंगी। 48 घंटों के बाद अनुमान है कि एक और पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पास पहुँचेगा जिससे 2-3 दिनों के बाद फिर से पहाड़ों पर वर्षा बढ़ने का अनुमान है।
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