मानसून पूर्व मौसम का पहला सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय के पास पहुंच गया है। हमने मार्च के महीने में और अप्रैल के पहले 11 दिनों के दौरान कोई महत्वपूर्ण पश्चिमी विक्षोभ नहीं देखा है। पश्चिमी हिमालय के कई हिस्सों में बारिश की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। देहरादून में भी 13 अप्रैल की शाम को बारिश हुई। जम्मू संभाग हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से लू का प्रकोप समाप्त हो गया है। उत्तर पश्चिमी भारत में भी तापमान कुछ हद तक कम हो गया है।
उत्तर राजस्थान के कुछ हिस्सों में प्री मानसून की पहली धूल भरी आंधी की गतिविधियां देखी गईं। नागौर, चुरू, बीकानेर और झुंझुनू जैसे स्थानों पर आंधी और धूल भरी आंधी दर्ज की गई जिससे तापमान में गिरावट आई। दक्षिण पश्चिम हरियाणा के एक या दो हिस्सों में भी हल्की धूल भरी आंधी देखी गई। दिल्ली तथा उसके आसपास के इलाकों में भी रात के समय तेज धूल भरी हवाएं चली। अब अगले 24 घंटों के दौरान पंजाब हरियाणा उत्तरी राजस्थान दिल्ली के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में प्री-मॉनसून गतिविधियों के लिए स्थितियां अनुकूल हैं।
मई के उत्तरार्ध में उत्तर पश्चिम भारत में मानसून पूर्व गतिविधियों में वृद्धि देखी गई, जो चल रहे गर्म मौसम की स्थिति से कभी-कभार राहत दे सकती है। अधिकतम तापमान के मामले में मई का महीना सबसे गर्म होता है और आमतौर पर तेज आंधी, धूल भरी आंधी और छिटपुट ओलावृष्टि की गतिविधियां देखी जाती हैं। यह प्री-मानसून गतिविधियां तापमान को नीचे लाती हैं और कभी-कभार राहत देती हैं। इस साल मार्च और अप्रैल की पहली छमाही में लंबे समय तक लू चल रही है। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि मई का महीना कैसा होता है।