बीते लंबे समय से मध्य भारत में शुष्क मौसम जारी है। किसी विशेष मौसमी हलचल के अभाव में देश के मध्य भागों में लोग बारिश के दीदार के लिए बेचैन हैं, खासतौर पर फसलों की दशा को देखते हुए यह बेचैनी किसानों में कुछ ज़्यादा है। हालांकि वर्तमान मौसमी परिदृश्य संकेत दे रहे हैं कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आसपास के भागों तथा पूर्वी राजस्थान में अच्छी बारिश दर्ज की जा सकती है।
मौसम में यह बदलाव मध्य प्रदेश के ऊपर दो विपरीत दिशाओं से आने वाली हवाओं के आपस में मिलने से आएगा। इस समय मध्य प्रदेश तक उत्तर से शुष्क और ठंडी हवाएँ आ रही हैं जो अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी से आने वाली गर्म और आर्द्र हवाओं से टकरा रही हैं।
दो विपरीत प्रकृति और विपरीत दिशाओं से आने वाली इन हवाओं के चलते मध्य भारत के कई भागों में पहले से बादल देखे जा रहे हैं। अनुमान है कि बादलों का प्रभाव जल्द ही बढ़ेगा और 16 फरवरी से मध्य प्रदेश में बारिश दर्ज की जाएगी। छत्तीसगढ़ और ओड़ीशा में पहले से ही हल्की बारिश की गतिविधियां हो रही हैं। बीते 24 घंटों के दौरान इन राज्यों में कुछ स्थानों पर हल्की बौछारें दर्ज की गई हैं। इन राज्यों में अगले 24 से 48 घंटों के दौरान भी मौसम इसी तरह बने रहने की संभावना है।
धीरे-धीरे मौसमी गतिविधि पश्चिमवर्ती होगी। सिस्टम के पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ने के चलते पूर्वी राजस्थान में बारिश दर्ज की जाएगी। जयपुर और कोटा जैसे शहरों में भी 17 फरवरी को वर्षा होने के आसार हैं। हालांकि इस दौरान भी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में हल्की वर्षा जारी रहेगी।
इस मौसमी सिस्टम के प्रभाव से पूर्वी उत्तर प्रदेश के भी कुछ भागों में हल्की बारिश होने का अनुमान है। इलाहाबाद, बांदा, महोबा और झाँसी में 17 फरवरी को हल्की बारिश दर्ज की जा सकती है। सिस्टम के धीरे-धीरे पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ने के बाद इन भागों में मौसम साफ हो जाएगा।
संभावित बारिश गेहूं और सरसों सहित अधिकांश रबी फसलों के लिए लाभदायक होगी। वर्तमान रबी सत्र में देश के मध्य और उत्तरी भागों में बारिश का लगभग अभाव रहा है। फसलों की वानस्पतिक वृद्धि के लिए बारिश अत्यंत आवश्यक होती है। क्योंकि जब तक फसलों का पर्याप्त वानस्पतिक विकास नहीं होगा तब तक अच्छी उत्पादकता की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
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