मॉनसून 2018 में अब तक सितंबर का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है। सितंबर में देश के ज्यादातर हिस्सों में भारी बारिश नहीं हुई। इन बीते 14 दिनों में दो दिन मात्र ऐसे रहे हैं जब सितंबर में भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई। बारिश में लगातार कमी आने के कारण मॉनसून वर्षा के कुल आंकड़े में लगातार अंतर बढ़ता जा रहा है। पिछले 4 दिनों की अगर बात करें तो जितनी बारिश होनी चाहिए थी उससे आधी यानी लगभग 50% कम बारिश हुई है।
देश भर में कुल मॉनसून वर्षा में कमी पिछले दिनों 7% के स्तर पर थी, जो बारिश कम होने के कारण बढ़कर 8% पर पहुंच गई है। आने वाले दिनों में भी कोई बड़ा बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दिनों में बारिश में और कमी आएगी जिसके कारण जो आंकड़ा अभी 8% कम के स्तर पर है वह और बढ़ सकता है।
स्काईमेट के मौसम पूर्वानुमान विभाग के प्रमुख एवीएम जीपी शर्मा के अनुसार वर्तमान मौसम की स्थिति में जल्द बदलाव की उम्मीद नहीं है। बल्कि अगले कुछ दिनों के दौरान पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों को अगर छोड़ दें तो देश के ज्यादातर हिस्सों में मौसम सूखा ही रहेगा और हल्की वर्षा ही देखने को मिलेगी। उनका कहना है कि संभावित मौसमी परिदृश्य के आकलन के आधार पर हमें इस बात का डर है कि मॉनसून 10% की कमी के साथ सम्पन्न हो सकता है।
मॉनसून सीजन में आमतौर पर बारिश मॉनसून की अक्षीय रेखा और बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में उठने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र या डिप्रेशन जैसे अन्य मौसमी सिस्टमों पर निर्भर होती है। इस समय मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय के तराई क्षेत्रों में बनी हुई है। लेकिन इसे किसी अन्य सिस्टम से मदद नहीं मिल रही है जिसके कारण इसके आसपास के क्षेत्रों में भी बहुत अधिक बारिश की उम्मीद नहीं की जा रही है। अनुमान है कि उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत के ज्यादातर इलाकों में मौसम सूखा रहेगा।
दक्षिण भारत की बात करें तो इस समय कर्नाटक से कोमोरिन क्षेत्र तक एक उत्तर-दक्षिण ट्रफ बनी हुई है। इसके साथ ही कर्नाटक के तटों अरब सागर में और तमिलनाडु पर चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र बने हुए हैं। लेकिन इन सिस्टमों में इतनी क्षमता नहीं है कि दक्षिण भारत में भी मॉनसून को पुनर्जीवित कर पाएँ। इसके अलावा अगले एक सप्ताह तक देश के दोनों ओर समुद्री क्षेत्रों में किसी प्रभावी मौसमी सिस्टम के विकसित होने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है जो मॉनसून की अक्षीय रेखा को हिमालय के तराई क्षेत्रों से नीचे यानी मध्य भारत तक ला सकें और बारिश की गतिविधियां बढ़ सके।
अगले एक सप्ताह तक पश्चिम, मध्य और दक्षिण भारत में बहुत मामूली बारिश होगी जिससे वर्षा का आंकड़ा सामान्य से काफी नीचे बना रहेगा। इन संभावनाओं के मद्देनजर मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि मॉनसून 2018 लगभग 8 से 10% की कमी के साथ संपन्न हो सकता है। हालांकि इस बारे में अभी अंतिम अनुमान पर नहीं पहुंचा जा सकता है क्योंकि सितंबर का दूसरा पखवाड़ा यानि मॉनसून सीज़न के 15 दिन अभी बाकी हैं इसलिए कुछ और इंतजार करना होगा।
Image credit: BBC
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।