पूर्वी मध्य प्रदेश और इसके आसपास के भागों पर बने एक चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से राज्य के कई भागों में बारिश हुई है। कई इलाके ऐसे भी हैं जहां मध्यम ओलावृष्टि दर्ज की गई है। शिवपुरी ज़िले में जहां सुबह की शुरुआत ओलावृष्टि और बारिश से हुई वहीं दमोह ज़िले के कई भागों में बुधवार की शाम को मध्यम से भारी ओलावृष्टि ने लोगों को चौंका दिया।
तेज़ ओलों और बारिश के चलते राज्य के कई हिस्सों में जन-जीवन प्रभावती हुआ है। छतरपुर, टीकमगढ़, श्योपुर और दतिया में भी तेज़ हवा के झोंको के साथ बारिश हुई है। इन भागों में भी ओले पड़ने की खबर है।
मध्य भारत के भागों में बारिश और ओलावृष्टि करने वाला यह मौसमी सिस्टम पहले पूर्वी राजस्थान पर बना उसके बाद यह पूर्ववर्ती होते हुये पूर्वी मध्य प्रदेश के भागों पर पहुंचा। इसके प्रभाव से समूचे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश और आसपास के भागों में बारिश दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश में इसके प्रभाव से कई जगहों पर ओलावृष्टि देखने को मिली।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जब बादलों की मोटाई अपेक्षाकृत अधिक होती है और यह बादल शून्य डिग्री तापमान के स्तर से भी धरती से ऊपर रहते हैं तब उन बादलों से ओले गिरने की काफी संभावना रहती है। बादलों के शून्य डिग्री से ऊपर होने के चलते बारिश शुरू होने पर बूंदें आपस में टकरा बर्फ के रूप में जमने लगती हैं और छोटे-छोटे गोलों में तब्दील हो जाती हैं। बर्फ का टुकड़ा बनने के कारण इनका भार काफी बढ़ जाता है जिससे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के चलते यह तेज़ी से नीचे गिरती हैं जिसे ओलावृष्टि कहते हैं।
मॉनसून आने से पहले और मॉनसून जाने के बाद ऐसे बादलों के बनने की संभावना काफी अधिक रहती है। इसीलिए प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीजन में ओलावृष्टि की घटनाएँ देखने को मिलती हैं।
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