पंजाब में सर्दियों में अक्सर बारिश देखने को मिलती। खासकर जब भी जम्मू कश्मीर और लद्दाख पर कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ यानि WD आता है तो पंजाब के भी कुछ जिलों में वर्षा होती है।
हालांकि बात अगर 12 से 18 नवंबर के बीच एक सप्ताह के दौरान पंजाब के मौसम की करें तो शुरुआती दो दिन पूरे पंजाब में मौसम शुष्क रहेगा।
उसके बाद एक सक्रिय WD कश्मीर पर आएगा जिससे 14 और 15 नवंबर को पंजाब के ज़्यादातर भागों में बादल छाने की संभावना है।
लेकिन बारिश के आसार फिलहाल पश्चिमी भागों में ही दिखाई दे रहे हैं। यानि 14 और 15 नवंबर को गुरदासपुर, अमृतसर, तरण तारण, कपूरथला, फ़िरोज़पुर, फ़रीदकोट, फ़ाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब और आसपास के हिस्सों में बारिश की उम्मीद कर सकते हैं।
दूसरी ओर लुधियाना, पटियाला, संगरूर, जालंधर, रूपनगर सहित पूर्वी पंजाब में मौसम शुष्क ही रहेगा। लेकिन 16 नवंबर के बाद जब पहाड़ों से बर्फीली हवाएँ आएंगी तो पूरा पंजाब प्रभावित होगा क्योंकि तापमान में तेज़ी से गिरावट होगी और सर्दी अचानक बढ़ जाएगी।
अब जानते हैं कि फसलों पर क्या होगा इस मौसम का असर
फलों के पौधों के साथ इंटरक्रॉप लगाने के लिए उपयुक्त समय है। सेंजी, मटर व उड़द आदि फसलें इंटरक्रॉप के तौर पर लगाई जा सकती हैं। इंटरक्रॉप व मुख्य फसलों में सिंचाई अलग अलग दें।
गेहूँ की बुआई भी जारी रख सकते हैं। गेहूँ की अच्छी किस्में हैं...PBW-343, PBW-1 ZN, PBW-725, HD-2967 व HD-3086 आदि। इनमें से कोई किस्म चुन सकते हैं। बिजाई के लिए हैप्पी सीडर का प्रयोग करें।
इस मौसम में बेर में फल झड़ने की समस्या हो सकती है, इसके नियंत्रण हेतु NAA का छिड़काव 15 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी की दर घोल बना कर करें।
Image Credit: Times Of India
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