देश के उत्तरी राज्यों में आमतौर पर फरवरी महीने में अच्छी बारिश होती है और पहाड़ों पर व्यापक बर्फबारी दर्ज की जाती है जिसके कारण सर्दी का मौसम कम से कम फरवरी के आखिर तक बना रहता है। इन र बारिश की गतिविधियों से उत्तर के पर्वतीय राज्यों से होकर मैदानी इलाकों में आने वाली नदियों में भी पानी का पर्याप्त प्रवाह मौजूद रहता है। लेकिन साल 2021 की फरवरी में स्थितियां बहुत विपरीत रहीं। फरवरी में एक-दो स्पैल को छोड़कर उत्तर भारत के पहाड़ों पर पूरे फरवरी महीने में अधिकांश समय मौसम मुख्यतः साफ और शुष्क रहा।
मार्च महीना विपरीत प्रदर्शन करने वाला है। वर्तमान स्थितियों को देखते हुए अनुमान है कि उत्तर भारत के पहाड़ों से लेकर मैदानी राज्यों तक आगामी 1 सप्ताह के दौरान सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव रहेगा और इन भागों के मौसम में बदलाव दिखाई देगा। इस समय एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के ऊपर बना हुआ है जिसके प्रभाव से अगले 24 से 48 घंटों के दौरान यानी 6 और 7 मार्च को जम्मू कश्मीर से लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के उत्तरी इलाकों में कई जगहों पर हल्की से मध्यम वर्षा और बर्फबारी होने की संभावना है। इस दौरान एक-दो जगहों पर ओलावृष्टि और तेज हिमपात का भी अनुमान है।
बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां 6 मार्च की अपेक्षा 7 मार्च को ज्यादा तेज होंगी। इसी दौरान मध्य पाकिस्तान और उत्तर पश्चिमी राजस्थान पर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के कारण मैदानी इलाकों में भी कुछ स्थानों पर वर्षा हो सकती है। विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के तराई क्षेत्रों तथा उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भागों में कुछ स्थानों पर गरज के साथ हल्की वर्षा या बूँदाबाँदी होने की संभावना है। 7 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी कहीं-कहीं पर गरज के साथ बौछारें गिर सकती हैं। यह गतिविधियां मुख्यतः रात में यहां पर देखने को मिलेंगी।
8 मार्च को मौसमी हलचल काफी कम हो जाएगी क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ पूर्वी दिशा में आगे निकल जाएगा। लेकिन एक अन्य सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ 9 मार्च से फिर से उत्तर भारत में दस्तक देगा जिसके कारण अगले कई दिन बारिश और बर्फबारी पर्वतीय और मैदानी इलाकों में होने की संभावना है। इन गतिविधियों के चलते पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक दिन के तापमान में कुछ बदलाव जरूर देखने को मिलेगा लेकिन हवा में ठंडक के लिए कम से कम 14-15 मार्च तक का इंतजार करना होगा, जब वर्षा की गतिविधियां बंद हो जाएंगी और मौसमी सिस्टम आगे निकल जाएंगे, ठंडी हवाएँ मैदानी इलाकों पर चलेंगी जिससे तापमान में कुछ गिरावट हो सकती है।
Image credit: TOI
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।