देश में पिछले कई दिनों से मॉनसून का अच्छा प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। यहां तक कि देश के मध्य और दक्षिणी तटवर्ती इलाकों में मूसलाधार वर्षा हो रही है जिसके कारण बाढ़ से सामान्य जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। लगातार कई जगहों पर हो रही बारिश के चलते बारिश में कमी का आंकड़ा घटकर 1% पर आ गया है जिसे सामान्य माना जा सकता है। यानि अब मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य के स्तर पर पहुंच गया है।
पिछले दिनों बने अलग-अलग मौसमी सिस्टमों के चलते मॉनसून का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। इससे जून में अल नीनो ने मॉनसून का जो नुकसान किया था अब उसकी भरपाई हो चुकी है। मॉनसून के प्रदर्शन में सुधार को देखते हुए यह प्रश्न उठता है कि क्या अब मॉनसून पर अल नीनो का प्रभाव खत्म हो गया है? तो जवाब है नहीं।
Read this in English: EL NINO DECLINES BUT PERSISTS, BEARING ON MONSOON 2019 TO CONTINUE WITH RAINS GOING SILENT FOR FORTNIGHT
अल नीनो कमजोर हो रहा है लेकिन अभी भी इसका अस्तित्व बना हुआ है। मॉनसून के प्रदर्शन में सुधार इसलिए देखने को मिला क्योंकि एक तरफ इंडियन ओषन डायपोल यानी आईओडी सकारात्मक स्थिति में आ गया था। तो दूसरी ओर मॉडन जूलियन ओषिलेशन हिंद महासागर पर था। इन दोनों मौसमी कारकों को अच्छे मॉनसून से जोड़कर देखा जाता है और जब दोनों उपस्थित हों तब अल नीनो के असर को कम कर देते हैं।
हालांकि अब स्थितियां एक बार फिर से बदल रही हैं। मॉनसून आने वाले दिनों में कमजोर होने वाला है।
मौसम से जुड़े मॉडल संकेत कर रहे हैं कि समुद्र की सतह के तापमान में भूमध्य रेखा के पास उतार-चढ़ाव की स्थिति देखने को मिल रही है। यहां तक कि पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर में तापमान औसत से ऊपर है। मात्र पूर्वी प्रशांत महासागर में तापमान औसत से नीचे चल रहा है।
यहाँ तक कि नीनो 3.4 क्षेत्र में ओषनिक नीनो इंडेक्स (ओएनआई) 0.5°C के स्तर पर बना हुआ है। यह तीन महीनों का लगातार नौवाँ चरण है जब ओएनआई निर्धारित सीमा के आसपास बना हुआ है।
इसका अर्थ यह हुआ कि अल नीनो अभी भी प्रभावी है, हालांकि कमजोर हो रहा है। अगस्त में अल नीनो के अस्तित्व में होने की संभाव्यता 30% है उसके बाद यह और कमजोर हो जाएगा।
मौसम से जुड़े मॉडल से मिले आंकड़ों से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि एल नीनो सदर्न ओशीलेशन (ईएनएसओ) की तटस्थ स्थिति आने में अभी कम से कम एक महीने का समय है। यह अनिश्चितताएं अभी भी मॉनसून को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं।
इसके अलावा मॉडन जूलियन ओशीलेशन (एमजेओ) हिंद महासागर के बाहर जा रहा है और चौथे चरण में है। अब आईओडी अकेला रह जाएगा जो अपने से अधिक प्रभावी अल नीनो के मॉनसून पर असर को कम करने में सक्षम नहीं होगा।
इसलिए अब मॉनसून जल्द ही कमजोर हो जाएगा और आने वाले दिनों में देशभर में बारिश में व्यापक कमी देखने को मिलेगी। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार संभवतः मॉनसून के सुस्त होने के कारण देश के कई इलाकों में बारिश में भारी कमी आ जाएगी।
हमें डर है कि मॉनसून के कमजोर होने से एक पखवाड़े तक यानी 2 सप्ताह तक बारिश में कमी देखने को मिल सकती है। कहा जा सकता है कि अगस्त की विदाई के समय मॉनसून काफी कमजोर रहेगा। हालांकि सितंबर में फिर से मॉनसून में सुधार की स्थितियां देखने को मिल सकती है और उम्मीद है कि सितंबर में ठीक-ठाक बारिश हो सकती है।
ऐसे में अभी जो स्थितियां सुधरी थीं और बारिश सामान्य के आसपास पहुंच गई थी। आशंका है कि एक बार फिर बारिश के आंकड़ों में कमी आएगी।
Image credit: Critic Brain
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