भारत में मार्च से मई का तीन महीने लंबा प्री-मॉनसून सीज़न कई जगहों पर अच्छी बारिश के साथ सम्पन्न हो गया है। इस दौरान मार्च में सामान्य प्री-मॉनसूनी बारिश दर्ज की गई जबकि अप्रैल में देश के अधिकांश हिस्सों में लोगों को भीषण लू से संघर्ष करना पड़ा और मौसम अधिकांशतः शुष्क रहा। लेकिन मई ने राहत पहुंचाई और इस महीने में देश भर के कई इलाकों में अच्छी प्री-मॉनसून बारिश दर्ज की गई।
बारिश की शुरुआत मई के पहले सप्ताह में ही हुई जिससे कई भागों में लू से बहुप्रतीक्षित राहत मिली। मई में इस सीज़न का पहला चक्रवाती तूफान भी आया। चक्रवात रोआनू बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में पहले चक्रवाती हवाओं के रूप में उठा और धीरे-धीरे प्रभावी होता रहा। अंततः इसने चक्रवात का रूप अख़्तियार किया।
खाड़ी में बने इस सिस्टम ने 16 से 21 मई के दौरान तमिलनाडु के तटीय भागों से लेकर आंध्र प्रदेश, ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल के तटवर्ती इलाकों तक कई जगहों पर रिकॉर्ड तोड़ भीषण बारिश दी। इसके चलते पूर्वोत्तर राज्यों में भी कई जगहों पर मूसलाधार वर्षा देखने को मिली।
हालांकि जब रोआनू पूर्वी तटीय क्षेत्रों को बारिश से सराबोर कर रहा था उसी समय उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लोग भीषण लू के चलते गर्मी से तप रहे थे। इसी दौरान पश्चिमी राजस्थान के कुछ भागों में पारा 50 डिग्री के स्तर को पार कर गया जो भारत के लिए असामान्य मौसमी घटना है।
प्री-मॉनसून सीज़न में दक्षिण में केरल से लेकर उत्तर में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक भीषण और असामान्य गर्मी का सामना करना पड़ा। लेकिन इस दौरान लू से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले गुजरात में इस बार अपेक्षाकृत कम गर्मी पड़ी।
भीषण बारिश देने के अलावा रोआनू ने भारत के मौसम को और भी कई रूपों में प्रभावित किया। चक्रवात के आगे निकल जाने के बाद से पूर्वी भारत और उससे सटे मध्य भारत के कुछ भागों में रूक-रूक कर बारिश की गतिविधियां होती रहीं जिससे इन भागों में अधिकतम तापमान पर नियंत्रण बना रहा।
मई के आखिरी सप्ताह आते आते केरल और तटीय कर्नाटक में प्री-मॉनसूनी बारिश बढ़ गई। इन भागों में बीते 7 दिनों से लगातार कई जगहों पर हल्की से मध्यम जबकि एक-दो इलाकों में भारी वर्षा हो रही है।
स्काइमेट के अनुसार भारत के मुख्य भू-भाग पर किसी भी समय मॉनसून के दस्तक देने के लिए मौसमी परिदृश्य पूरी तरह से अनुकूल है। इस बदलाव से हम उम्मीद कर सकते हैं कि देश के अधिकांश हिस्सों में लू का प्रकोप अब धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और गर्मी तथा उमस महसूस की जाएगी। गौरतलब है कि 1 जून से देश में होने वाली बारिश के आंकड़ों को मॉनसूनी बारिश के आंकड़ों के तौर पर देखा जाता है।
Image Credit: ndtv
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