भारत में प्री-मॉनसून सीजन की शुरुआत मार्च में होती है और मई तक प्री-मॉनसून सीजन जारी रहता है। यानी जून में मॉनसून के आने तक जो भी बारिश होती है उसे प्री-मॉनसून वर्षा माना जाता है। इस साल प्री-मॉनसून सीजन के पहले महीने मार्च में सामान्य से बहुत अधिक वर्षा हुई थी।
1 मार्च से 17 अप्रैल तक देशभर में कहां कितनी बारिश हुई है:
लगभग 50 दिनों की अवधि में पूरे भारत में जितनी बारिश होती है उससे 13% ज़्यादा वर्षा रिकॉर्ड की गई है। हालांकि मार्च के आखिर तक बारिश सामान्य से लगभग 50% ऊपर थी। अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में देश के ज्यादातर इलाकों में मौसम साफ और शुष्क बना हुआ था जिसके कारण सामान्य से अधिक वर्षा के आंकड़े में कमी आई और 47% से घटकर 13% पर आ गया।
क्षेत्रवार वर्षा का वितरण
1 मार्च से 17 अप्रैल के बीच मध्य भारत में सामान्य से 140% ज्यादा वर्षा हुई है। जबकि उत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से 40% ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है। दक्षिणी राज्यों में भी कुछ दिन पहले तक 11% अधिक वर्षा हुई थी। यहां अब बारिश घटकर सामान्य से अब महज़ 3% ऊपर रह गई है। दूसरी ओर पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से 38 फ़ीसदी कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
पिछले 24 घंटों में कैसा रहा प्री-मॉनसून
बीते 24 घंटों के दौरान गुजरात और आंध्र प्रदेश को छोड़कर देश के लगभग सभी हिस्सों में प्री मॉनसून वर्षा दर्ज की गई। इस प्री-मॉनसून बारिश के लिए एक साथ कई मौसमी सिस्टमों को जिम्मेदार माना जा सकता है।
एक तरफ उत्तरी पाकिस्तान और इससे सटे भागों पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पहुंचा तो पंजाब और आसपास के इलाकों पर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हुआ और इस सिस्टम से बिहार तक एक ट्रफ रेखा बनी। इसके अलावा असम पर एक सर्कुलेशन बना हुआ था और पूर्वी मध्य प्रदेश से कर्नाटक तक एक ट्रफ रेखा सक्रिय हो गई थी।
इन सभी मौसमी सिस्टमों के कारण न सिर्फ बंगाल की खाड़ी से बल्कि अरब सागर से भी दक्षिण, मध्य और उत्तर तथा पूर्वी भारत के भागों में आर्द्रता पहुंची, जिसके चलते पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दक्षिणी-मध्य महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में मध्यम से भारी वर्षा हुई। उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्रों में भी मध्यम से भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई। ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई है।
दिल्ली समेत मैदानी इलाकों में भी पिछले 24 घंटों के दौरान धूल भरी आंधी और बादलों की गर्जना तथा ओलावृष्टि के साथ बौछारें दर्ज की गईं।
आगे भी होगी बारिश
हमारा अनुमान है कि अगले 48 घंटों तक गुजरात, दक्षिणी राजस्थान, कोंकण गोवा और पश्चिमी मध्य प्रदेश को छोड़कर देश के लगभग सभी भागों में प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां जारी रहेंगी। गुजरात और पश्चिमी मध्य प्रदेश में 25 और 26 अप्रैल को छिटपुट बारिश हो सकती है।
Image credit: India today
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