भारत में जून में मॉनसून के आगमन से पहले मार्च से मई के बीच होने वाली मौसमी हलचलों को प्री-मॉनसून हलचल कहा जाता है। इसमें धूलभरी आँधी चलने, बादलों की गर्जना होने और गरज के साथ बारिश होने की घटनाएँ देखने को मिलती हैं। जब यह गतिविधियां नहीं होती तब सबसे अधिक परेशान करने वाली मौसमी स्थिति देखने को मिलती है जिसे लू कहा जाता है।
अप्रैल के मध्य तक प्री-मॉनसून सीज़न अपने चरम पर होता है और सभी गतिविधियां भी बढ़ जाती हैं। कहीं धूलभरी आँधी और बादलों की गर्जना के साथ बिजली गिरने की घटनाएँ परेशान करती हैं तो कहीं हवा के साथ बारिश मुश्किलें बढ़ाती है। और ऐसी मौसमी हलचल ना होने पारा आसमान पर पहुँच जाता है गर्मी प्रचंड रूप अख़्तियार कर लेती है।
इस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में कई मौसमी सिस्टम बने हुए हैं। उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश दे रहा है तो मैदानी भागों के पास मध्य पाकिस्तान पर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र से उत्तरी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली में अगले 24 घंटों के दौरान मौसम प्रभावित होगा। इन भागों में कुछ स्थानों पर धूलभरी आँधी चलने या बादलों की गर्जना होने की संभावना है। एक-दो स्थानों पर बारिश भी हो सकती है।
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पश्चिम बंगाल और आसपास के हिस्सों पर एक चक्रवाती सिस्टम है। इसके अलावा उत्तरी झारखंड और इससे सटे ओड़ीशा पर भी एक चक्रवाती क्षेत्र बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा ओड़ीशा से तमिलनाडु तक बनी हुई है। इन सिस्टमों के प्रभाव से पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओड़ीशा और छत्तीसगढ़ में बादल छाएंगे और मेघगर्जना हो सकती है।
प्रायद्वीपीय भारत पर दो विपरीत दिशा की हवाएँ आपस में टकरा रही हैं जिससे दक्षिणी राज्यों में कुछ स्थानों पर मौसम में हलचल होगी। अनुमान है कि गोवा, कर्नाटक, केरल, आंतरिक तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश में गरज के साथ बारिश होगी। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
दूसरी ओर मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी हिस्सों में कोई सक्रिय मौसमी सिस्टम नहीं है। जिससे इन भागों में तापमान बढ़ रहा। गुजरात, इससे सटे मध्य प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान और विदर्भ के कुछ इलाके लू की चपेट में आ गए हैं। इन भागों में भीषण गर्मी ने अब अपना डेरा जमा लिया है।
Image credit: bloomberg
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