मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले 2-3 दिनों से कुछ स्थानों पर बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। प्री-मॉनसून सीज़न में एक साथ अधिकतर स्थानों पर वर्षा आमतौर पर नहीं होती है। परिणामस्वरूप तापमान को नीचे लाने में यह नाकाम रही है। मौसमी विशेषज्ञों के अनुसार प्री-मॉनसून सीज़न में बारिश आमतौर पर दोपहर बाद या शाम के समय देखने को मिलती है जिससे पहले ही चरम पर पहुँच चुका पारा तीसरे पहर में नीचे आता है गर्मी से शाम या रात को ही राहत मिलती है।
वर्तमान मौसमी परिदृश्य संकेत कर रहा है कि मध्य भारत के दोनों प्रमुख राज्यों में अगले 24 से 48 घंटों तक प्री-मॉनसून गतिविधियां जारी रहेंगी। इस समय दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश पर निचले स्तर पर एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। इसके अलावा मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र होते हुए कर्नाटक तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई है। इन मौसमी सिस्टमों के प्रभाव से बंगाल की खाड़ी से दक्षिण-पूर्वी आर्द्र हवाएँ मध्य भारत में बनी हुई हैं और अगले 2 दिनों तक इसी तरह से जारी रहेंगी। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
इसके चलते मध्य प्रदेश में सागर, जबलपुर खंडवा, बेतुल, होशंगाबाद, दमोह और सिवनी सहित आसपास के भागों में गरज और धूलभरी आँधी के साथ हल्की वर्षा जारी रह सकती है। छत्तीसगढ़ में रायपुर, जगदलपुर, दुर्ग और अम्बिकापुर जैसे स्थानों पर भी प्री-मॉनसून वर्षा होने की संभावना है। हालांकि अगले दो दिनों के दौरान होने वाली यह मौसमी हलचल गर्मी से विशेष राहत पहले की ही तरह दिलाने में नाकाम रहेगी क्योंकि बारिश दोपहर के बाद या शाम के समय होगी जिससे दोपहर आते-आते पारा काफी ऊपर जा चुका होगा और गर्मी भी चरम पर होगी।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञ महेश पालावत के अनुसार भोर में भी कुछ स्थानों पर प्री-मॉनसून वर्षा हो सकती है जो दिन चढ़ने पर बढ़ते पारे पर लगाम नहीं लगा पाएगी। गौरतलब है कि अप्रैल में आमतौर पर मध्य भारत में मौसम काफी गर्म होता है और इस समय भी दोनों राज्यों में तेज़ गर्मी पड़ रही है। हालांकि छिटपुट प्री-मॉनसून वर्षा के चलते लू से फिलहाल राहत मिली है।
Image Credit: Daily Bhaskar
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