जम्मू और कश्मीर पर बना पश्चिमी विक्षोभ, अब उत्तरी पाकिस्तान और उसके आस-पास के हिस्सों पर स्तिथ है। इससे प्रेरित साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तरी राजस्थान और इसके आस-पास के क्षेत्रों पर बना हुआ है। जब भी यह संयोजन एक साथ आता है, मौसम की गतिविधि का प्रसार, तीव्रता और अवधि बढ़ जाती है। यह होने वाली बारिश, पहाड़ियों में पहली भारी प्री-मानसून गतिविधि होगी।
आम तौर पर, प्री-मॉनसून गतिविधियाँ अल्पकालिक होती हैं। हालांकि, इस समय, अवधि थोड़ी लंबी होगी। कल से ही पहाड़ों पर मौसम की गतिविधियां शुरू हो गई थीं, लेकिन आज देर शाम तक इन बारिशों का चरम पर चले जाने की उम्मीद है। मगर तीव्रता कल से घटने लगेगी।
जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सभी तीन पहाड़ी राज्यों में एक साथ मौसम की गतिविधियां देखने को मिलेंगी, जिनमें ऊपरी हिस्सों में बर्फबारी देखने को मिल सकती है। 15 अप्रैल को, गुलमर्ग और धर्मशाला में अधिकतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस और 23.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो सामान्य से दो डिग्री कम था।
बर्फबारी, बारिश और गरज के साथ बारिश होने के साथ क्षेत्र में तापमान में और गिरावट आएगी। इस अवधि के दौरान उत्तर भारत की पहाड़ियों की यात्रा करने से बचना चाहिए।
मौसम, विशेष रूप से बारिश और बर्फ एक चुनावी दिन के दौरान मतदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जम्मू और कश्मीर 18 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार हो रहा है। और इस तरह की व्यापक गतिविधियों के बीच, इसकी तैयारियों में कुछ बाधा हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि 18 अप्रैल तक, मौसम साफ हो जाएगा और केवल एक दो जगहों में कुछ गतिविधि देख सकती है।
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