भारत में मार्च से जून के बीच के सीजन को प्री-मॉनसून सीजन के तौर पर जाना जाता है। प्री-मॉनसून की शुरुआत भारत में दक्षिणी क्षेत्रों से मार्च के आरंभ से होती है। जबकि उत्तरी इलाकों में मार्च के आखिर में या अप्रैल की शुरुआत में प्री-मॉनसून सीजन का आरंभ होता है।
प्री-मॉनसून सीजन में देश के उत्तरी इलाकों से लेकर दक्षिण तटीय भागों तक तेज़ गर्जना, आंधी तूफान और अचानक बारिश तथा ओलावृष्टि की गतिविधियां देखने को मिलती हैं। प्री-मॉनसून सीजन में सबसे अधिक गतिविधियां पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में (35%) होती हैं। उसके बाद नंबर आता है उत्तरी राज्यों का (30%)। मध्य भारत और दक्षिण भारत के भागों में आमतौर पर प्री-मॉनसून हलचल कम होती है।
प्री-मॉनसून मौसम का उग्र रूप छोटा नागपुर पठार के बिहार और झारखंड जैसे क्षेत्रों में देखने को मिलता है। इस दौरान रांची, जमशेदपुर, मिदनापुर और कोलकाता जैसे तमाम पूर्वी शहरों में बादलों की तेज गड़गड़ाहट और बिजली कड़कने की घटनाएं होती हैं। यह गतिविधियां पूर्वी राज्यों में आमतौर पर दोपहर या शाम के समय होती हैं। दूसरी ओर पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसी मौसमी हलचलें ज्यादातर शाम या रात के समय होती हैं।
English Version: Getting to know Pre-Monsoon and thunderstorms better as they approach for India
उत्तर भारत में मौसम में बदलाव मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभ के कारण होता है। प्री-मॉनसून सीजन में देश के उत्तरी पर्वतीय राज्यों में बादल फटने जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। देश के सबसे बड़े रेगिस्तानी क्षेत्र राजस्थान में प्री-मॉनसून अवधि में धूल भरी आंधी चलती है। तेज़ हवाओं से सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है।
रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल राजस्थान को पार करते हुए उत्तर भारत के अन्य मैदानी राज्यों में भी पहुंचती है। कई बार यह आंधी हवाई उड़ानों की रास्ते में बाधा बन जाती है। यही नहीं यह धूल इतनी प्रभावी होती है कि धरती से गर्मी को ऊपर जाने में से रोकती है। जिससे जमीन की सतह ठंडी नहीं हो पाती है। रात के समय भी तापमान कम नहीं हो पता और कई इलाके भीषण लू की चपेट में आ जाते हैं।
मध्य भारत के भागों में प्री-मॉनसून सीजन में आमतौर पर बहुत कम मौसमी हलचल होती है। इस दौरान बहुत कम मौसमी सिस्टम मध्य भारत पर पहुंचते हैं। गुजरात में प्री-मॉनसून सीजन में बिल्कुल भी बारिश नहीं होती है। हालांकि महाराष्ट्र का कोंकण गोवा क्षेत्र मध्य भारत का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां मई महीने में वर्षा होती है।
दक्षिण भारत में दो वजहों से बारिश होती है। एक वजह यह है कि विपरीत दिशा की हवाएँ आपस में टकराती हैं तो दूसरी वजह है तेलंगाना से कर्नाटक या तमिलनाडु तक बनने वाली ट्रफ। लेकिन यह सिस्टम भी कुछ ही क्षेत्रों को प्रभावित कर पाते हैं।
Image credit: Financial Express
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