देश के दक्षिणी भागों में प्री-मॉनसून सीजन की शुरुआत हो चुकी है। बीते कुछ दिनों के दौरान केरल में अच्छी प्री-मॉनसून वर्षा रिकॉर्ड की गई। प्री-मॉनसून सीजन मार्च-अप्रैल-मई में होता है। इन महीनों में देशभर में होने वाली वर्षा को प्री-मॉनसून वर्षा कहा जाता है।
प्री-मॉनसून सीजन की शुरूआत आमतौर पर दक्षिण भारत से होती है। मार्च के आरंभ से ही दक्षिणी राज्यों में प्री-मॉनसून गतिविधियां देखने को मिलती हैं। दूसरी ओर उत्तर भारत में प्री-मॉनसून हलचल मार्च के दूसरे पखवाड़े से शुरू होती है। कई बार इसमें लंबा अंतर देखने को मिलता है और उत्तर भारत में अप्रैल में भी प्री-मॉनसून की मौसमी हल चलें शुरू होने की संभावना रहती है।
उत्तर भारत में प्री-मॉनसून
उत्तर भारत में प्री-मॉनसून सीजन शुरू होने से पहले कैस्पियन सी से आने वाले पश्चिमी विक्षोभ अपना प्रभाव खोने लगते हैं और ज्यादातर अवसरों पर यह कश्मीर और हिमाचल के उत्तर से ही निकलने लगते हैं। उत्तर भारत में प्री-मॉनसून सीजन की शुरुआत तब मानी जाती है जब लगातार हवाएं चलनी शुरू हो जाएँ, आसमान साफ रहने लगे, तापमान में बढ़ोत्तरी होने लगे, ह्यूमिडिटी यानी आर्द्रता में कमी आए और हवा के साथ धूल भरी आंधी की गतिविधियां देखने को मिलने लगें।
पूर्वी भारत में प्री-मॉनसून
दूसरी ओर पूर्वी भारत में प्री-मॉनसून सीजन को नॉर्वेस्टर यानी काल बैसाखी के नाम से भी जानते हैं। पूर्वी भारत में प्री-मॉनसून सीजन काफी उग्र प्रभाव छोड़ता है, जब बिहार, झारखंड और इन से सटे क्षेत्रों में भीषण गर्जना और वज्रपात में जान और माल का नुकसान होता है। इस दौरान तटीय इलाकों में सतह से चलने वाली और समुद्र से आने वाली हवाएं काफी प्रभावी हो जाती हैं।
दक्षिण भारत में भी प्रायः तेज हवाएं और बादलों की गर्जना के साथ अचानक बौछारें गिरने जैसी मौसमी गतिविधियां होती हैं। प्री-मॉनसून सीजन को साइक्लोन सीजन के तौर पर भी जाना जाता है। आमतौर पर मार्च में अप्रैल और मई की तुलना में चक्रवाती तूफान कम आते हैं।
साइक्लोन सीज़न
इस सीजन में आने वाले या यूं कहें कि उठने वाले चक्रवाती तूफान मुख्यतः म्यानमार और बांग्लादेश का रुख करते हैं। भारत के तटीय भागों पर इनका सीधा प्रभाव कम ही देखने को मिलता है कुछ ही अवसरों पर ऐसा देखा गया है जब इस सीजन में बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफान ओडिशा और पश्चिम बंगाल के पास लैंडफॉल करते हैं।
प्री-मॉनसून सीजन में सबसे ज्यादा मौसमी हलचल असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और झारखंड में देखने को मिलती है, जब इन भागों में तेज वर्षा के साथ बिजली गिरने, तूफानी हवाएं चलने और भारी ओलावृष्टि होने की आशंका रहती है। इस सीजन में सबसे कम मौसमी गतिविधियां गुजरात और महाराष्ट्र में होती है।
प्री-मॉनसून में हीट वेब
प्री-मॉनसून सीजन देश में पूरे साल का सबसे गर्म सीजन होता है, जब तापमान लगातार बढ़ता जाता है और अधिकांश इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। इस समय देश का 70% से ज्यादा हिस्सा लू यानी हीट वेब की चपेट में आ जाता है।
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