बारिश कम या ज्यादा होने की स्थिति में सर्दी का मौसम भी प्रभावित होता है। गर्मी की चाल भी बारिश के साथ बदलती है। सिर्फ ऋतुएँ ही नहीं, बल्कि देश की खेती, कारोबार और कई बार तो सरकारों का भविष्य भी मॉनसून की कृपा पर टिका होता है।
कब होती है प्री-मॉनसून सीज़न की शुरुआत
भारतीय उप-महाद्वीप में शुष्क और प्रचंड गर्मी के मौसम से राहत लेकर आता है मॉनसून। उससे पहले प्री-मॉनसून सीज़न होता है, जिसकी शुरुआत मार्च से हो जाती है और अप्रैल तथा मई महीनों में होने वाले मौसमी बदलावों को प्री-मॉनसून का मौसम माना जाता है। इस सीजन में तेज़ गर्मी और शुष्क मौसम में बड़े अंतराल पर हल्की बारिश और बादलों की गर्जना के साथ आँधी चलने की मौसमी घटनाएँ देखने को मिलती हैं। विशेष रूप से प्रभावित होते हैं पूर्वी भारत के राज्य जहां ना सिर्फ गरज के साथ बारिश होती है बल्कि आकाशीय बिजली भी कई जगहों पर गिरने की आशंका बनी रहती है।
किसानों के लिए फायदे या नुकसान ?
इस सीजन में अचानक गरज वाले बादल विकसित होते हैं और बारिश देखने को मिलती है। इससे भीषण रूप से पड़ने वाली गर्मी से लोगों को फौरी तौर पर बड़ी राहत मिलती है। हालांकि किसानों के लिए, यह मौसम न हीं सकारात्मक है न हीं नकारात्मक। एक तरफ जहां गरज के साथ अच्छी बारिश होती है, जिससे फसलों की सिंचाई की ज़रूरत पूरी है। लेकिन बारिश के साथ कभी-कभी होने वाली ओलावृष्टि और आंधी-तूफान की वजह से खड़ी फसलों को नुकसान होने की आशंका रहती है। इसके अलावा, ज्यादा आकाशीय बिजली भी कभी-कभी जीवन के लिए घातक बन जाती है।
कहां कितने दिनों तक रहती है बारिश
दिनों के हिसाब से देखें तो मेघालय और निचले असम के साथ-साथ केरल के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक दिन प्री-मॉनसून हलचल होती है। इन भागों में 45 दिन ऐसे होते हैं जब गरज के साथ बारिश होती है। पूर्वोत्तर भारत के बाकी भागों, केरल, जम्मू कश्मीर और बिहार के कुछ हिस्सों में यह मौसम 30 दिन दिखाई देता है। अगर उत्तर की बात करें तो, जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में 30-40 दिनों तक गर्जना के साथ बारिश वाला मौसम होता है। हालांकि लद्दाख के क्षेत्र और गुजरात ऐसे हैं जहां महज़ 5 से 10 दिनों के लिए गरज के साथ बारिश का मौसम देखने को मिलता है।
प्री-मॉनसून सीज़न में अलग-अलग क्षेत्रों में गर्जना के साथ होने वाली बारिश के दिनों की संख्या नीचे दिए मैप में देख सकते हैं।
उत्तर भारत में ऐसी मौसमी घटनाएँ मुख्यतः पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव वाले क्षेत्र बनने के कारण होती हैं। जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में पूर्वी दिशा से आने वाली आर्द्र हवाएँ मौसम को अचानक बदलने के लिए जिम्मेदार मनी जाती हैं।
काल बैसाखी क्या है?
आमतौर पर इस दौरान छोटानागपुर और छत्तीसगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में बहुत भीषण और जानलेवा तूफान आते हैं। भारत के गंगा के मैदान वाले इलाकों में इस हिंसक तूफान को स्थानीय भाषा में 'काल बैसाखी' या 'Nor'westers' कहा जाता है।
Image credit: The Hindu
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।