दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन का समय नजदीक आ रहा है। इससे पहले भारत के लगभग सभी हिस्सों में प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। देश के पश्चिमी हिस्सों को छोड़कर सभी भागों में अगले कुछ दिनों में प्री-मॉनसून वर्षा तेज़ी से बढ़ सकती है।
हालांकि राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और मध्य महाराष्ट्र में हो सकता है यह गतिविधियां ना होना और इन भागों में आने वाले दिनों में भी मौसम शुष्क ही बना रहे।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पंजाब और हरियाणा पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इससे एक ट्रफ रेखा गंगा के मैदानी भागों से होते हुए बिहार तक पहुँच रही है। इसके अलावा एक ट्रफ रेखा बिहार से छत्तीसगढ़, विदर्भ और तेलंगाना होते हुए तमिलनाडु तक विकसित हो गई है।
इन मौसमी सिस्टमों के चलते ही देश के अलग-अलग हिस्सों में प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां बढ़ेंगी। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना में कई जगहों पर मॉनसून वर्षा हो सकती है।
इसी तरह उत्तर भारत के भागों दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पूर्वी भारत में बिहार, झारखंड, ओड़ीशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी गतिविधियां बढ़ेंगी और कुछ स्थानों पर आने वाले दिनों में गरज के साथ अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है।
28 मई से शुरू होने वाला प्री-मॉनसून बारिश का यह दौर 3-4 दिन तक चलेगा। अनुमान है कि 31 मई तक कई भागों में वर्षा होगी। स्काइमेट के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत के अनुसार इस दौरान विस्तृत क्षेत्रों में एक साथ बारिश नहीं होगी लेकिन जहां भी होगी अच्छी बारिश होगी।
कोलकाता, हैदराबाद, दिल्ली और बंगलुरु में 28 मई से बारिश बढ़ेगी। हालांकि चेन्नई और मुंबई में 29 मई से हल्की बारिश के आसार हैं। प्री-मॉनसून वर्षा की यह गतिविधियां तापमान को नीचे ले जाने में प्रमुख भूमिका निभाएँगी। प्री-मॉनसून वर्षा में संभावित वृद्धि को मॉनसून के जल्द आगमन के संकेत के तौर पर भी देखा जा सकता है। स्काइमेट ने पहले ही मॉनसून 2017 के 29 मई तक आगमन का पूर्वानुमान जारी किया है। हालांकि इसमें 3 दिन का एरर मार्जिन बताया है।
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