1 मार्च और 27 अप्रैल के बीच, सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य से 8% अधिक वर्षा हुई जबकि गुजरात क्षेत्र में 84% की कमी है। पूर्वी राजस्थान ने पश्चिम राजस्थान की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया क्योंकि पूर्वी राजस्थान में औसत से 40% कम वर्षा हुई जबकि पश्चिमी राजस्थान में औसत से 60% वर्षा की कमी दर्ज की गई है।
प्री-मॉनसून सीज़न के दौरान गुजरात का मौसम आमतौर पर शुष्क रहता है। सौराष्ट्र और कच्छ के लिए मार्च 1 और अप्रैल 27 के बीच औसत वर्षा सिर्फ 1.3 मिमी है और गुजरात क्षेत्र के लिए यह 1.7 मिमी है। अब प्री मानसून गतिविधियां तेज होने जा रही हैं और आने वाले दिनों में गुजरात क्षेत्र में बारिश की गतिविधियां जारी रह सकती हैं तथा एक-दो स्थानों पर तेज बारिश की भी संभावना है। राजस्थान में धूल भरी आंधी और गरज-चमक के साथ अच्छी मॉनसून गतिविधियाँ शुरू होंगी।
एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण सिंध व सौराष्ट्र और कच्छ के आसपास समुद्र तल से 9.0 किलोमीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है। यह चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र धीरे-धीरे उत्तर पूर्व दिशा में राजस्थान की ओर बढ़ेगा। अगले कुछ दिनों तक गुजरात के कुछ हिस्सों में बारिश और गरज के साथ बौछारें जारी रह सकती हैं। 29 अप्रैल को राजस्थान में एक-दो स्थानों पर हल्की धूल भरी आंधी की शुरुआत हो सकती है। राजस्थान में 30 अप्रैल से बारिश और गरज-चमक के साथ धूल भरी आंधी बढ़ेगी। 30 अप्रैल और 1 मई को गुजरात क्षेत्र में बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है। प्री मानसून की बारिश और गरज के साथ तेज आंधी और बारिश राजस्थान के कई हिस्सों में 2 अप्रैल से 6 बजे होने की संभावना है। पूर्वी जिलों में कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। पूर्वी जिलों की अपेक्षा पश्चिमी जिलों में बारिश की तीव्रता अपेक्षाकृत कम हो सकती है। प्री मानसून वर्षा तथा बादलों के जमावड़े के प्रभाव से राजस्थान का तापमान मई के पहले सप्ताह के दौरान 2 से 4 डिग्री तक गिर सकता है।