हाल ही में उत्तर भारत के पहाड़ों को प्रभावित करने वाले पश्चिमी विक्षोभ के आगे निकल जाने के बाद से दिल्ली और आसपास के शहरों में मध्यम गति से उत्तर पश्चिमी हवाएँ चल रही हैं। उत्तर से 20 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आने वाली इन शुष्क हवाओं के कारण आर्द्रता के स्तर में काफी कमी आई है।
नमी कम होने और हवा की रफ्तार अधिक होने के चलते दिल्ली तथा आसपास के शहरों के ऊपर छाया प्रदूषण साफ हो गया है। इसके चलते प्रदूषण के स्तर में व्यापक कमी आई है और लोग राहत की सांस यानि स्वच्छ सांस ले रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रक एजेंसी सफर से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 2.5 का स्तर 100 से नीचे दर्ज किया जा रहा है। पीएम 2.5 का स्तर पूसा में 68, लोधी रोड पर 78, आयानगर में 58, पीतमपुरा में 70 और दिल्ली विश्वविद्यालय के पास 73 रहा।
वर्तमान स्थिति अगले 2-3 दिनों तक बनी रहेगी। यानि कि 48 घंटों तक दिल्ली के लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकते हैं। लेकिन उसके बाद हवा बदलने वाली है। मध्य प्रदेश से पूर्वी भारत तक एक ट्रफ के विकसित होने की संभावना है जिससे दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी राज्यों को पूर्वी या दक्षिण पूर्वी हवा प्रभावित करेगी। हवा की गति कम होगी और आर्द्रता यानि नमी का स्तर काफी अधिक रहेगा जो प्रदूषण फैलाने वाले कणों और धुआँ को वातावरण में जकड़ कर रखेगा। यानि की खुले आसमान में खिली-खिली धूप और स्वच्छ वातावरण के बीच साफ हवा 48 घंटों के बाद फिर से कुछ समय के लिए खो जाएगी।
पिछले 2-3 दिनों के पहले की बात की जाए तो दिल्ली और आसपास के शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक था। जब भी हवा की गति कम होती है और इसमें नमीं का स्तर ऊपर रहता है तब धुआँ और धूल के कण वातावरण में निचले स्तर पर ही रहते हैं। यही आमतौर पर धुंध के रूप में हमें दिखाई देता है।
सर्दी के मौसम में आमतौर पर ऐसी स्थिति तब दिखाई देती है जब कोई पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पहाड़ों के करीब पहुंचता है। पश्चिमी विक्षोभ के उत्तर में बने रहने तक यह स्थिति बनी रहती है। पश्चिमी विक्षोभ के आगे निकलते ही ठंडी और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं का उत्तर-पश्चिम भारत में प्रवाह बढ़ता है, जो प्रदूषण को साफ कर देता है।
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