लंबे इंतज़ार के बाद बारिश की फुहारों में भीगी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी को बीते 5 महीनों से जल देवता की बेरुखी का सामना करना पड़ा और बारिश कुछ बूंदों को छोडकर मौसम बिल्कुल सूखा रहा। 20 सितंबर 2015 से दिल्ली और आसपास के शहरों में लोग 2 दिन पहले तक अच्छी बारिश की बाट जोह रहे थे। इस प्रतीक्षा को मौसम ने बीते 36 से 48 घंटों के दौरान अच्छी फुहारों के रूप में दिल्ली और आसपास के शहरों को भीगोते हुए दूर किया।
इस बारिश ने ना सिर्फ बढ़ रहे तापमान पर लगाम लगाई बल्कि इसने वातावरण को भी धो दिया जिससे राजधानी में प्रदूषण कम हुआ। उत्तरी राजस्थान पर बने चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र और उत्तर में जम्मू कश्मीर के पास पहुंचे पश्चिमी विक्षोभ से इसके जुड़ने के चलते यह बारिश हुई है।
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में अच्छी वर्षा देखने को मिली। बारिश के पहले दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया था। वातावरण में मौजूद प्रदूषण के कण बारिश की चपेट में आकर साफ हो गए।
अगर बारिश छिटपुट स्थानों पर होती है तो धुआँ और धूल सहित प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कण वातावरण से साफ नहीं होते और हवा में प्रदूषण बना रह जाता है। प्रदूषण मापक एजेंसी सफर के मुताबिक पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 2.5 का स्तर इस समय काफी नीचे आया है और दिल्ली विश्वविद्यालय के पास यह 77, पीतमपुरा के पास 82, मथुरा रोड पर 97, पूसा और गुडगाँव में 95, लोधी रोड पर 90 और आयानगर में 128 पर रहा। दिल्ली से सटे नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर 193 रहा।
मौसम का वर्तमान परिदृश्य संकेत कर रहा है कि दिल्ली और आसपास के भागों में प्रदूषण में अगले 2-3 दिनों तक कमी बनी रहेगी। उसके बाद प्रदूषण के स्तर में कुछ बढ़ोत्तरी होगी। हालांकि अच्छी खबर यह है कि आगामी 10 मार्च को एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत को प्रभावित कर सकता है। अनुमान है कि उस दौरान बारिश का नया दौर राष्ट्रीय राजधानी को फिर से भिगो सकता है जो प्रदूषण पर नकेल कसने में अहम होगी।
Image Credit: The Hindu