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[Hindi] धूँए की चादर में लिपटा दिल्ली और एनसीआर, जल्द राहत के नहीं आसार

November 2, 2016 1:22 PM |

Pollution in Delhi Hindustan Times 600दिल्ली और आसपास के शहरों में बीते 2-3 दिनों से प्रदूषण नित नए रिकॉर्ड बना रहा है। इस समय राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के भागों में वातावरण में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो गया है। बुधवार की सुबह से ही दिल्ली में घनी धुंध छाई हुई है। इसके चलते राष्ट्रीय राजधानी में दृश्यता का स्तर काफी नीचे चला गया है। कुछ भागों में दृश्यता बिलकुल नहीं है जिससे यातायात में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पालम में सुबह 5:30 बजे से 9:30 बजे के बीच दृश्यता कम होकर 300 मीटर रिकॉर्ड की गई। दृश्यता में इतनी व्यापक कमी आमतौर पर सर्दी के मध्य में घने कोहरे के चलते आती है। दीपावली की आतिशबाज़ी, कूड़े-कचरे का जलाया जाना, गाड़ियों से निकलने वाला धूँआ और विभिन्न निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल के चलते दिल्ली के वातावरण का यह बुरा हाल हुआ है। इसके अलावा दिल्ली से सटे कृषि प्रधान राज्यों पंजाब और हरियाणा में फसलों के सूखे पौधों विशेषकर धान के पौधों को बड़े पैमाने पर जलाया जाता है, इससे भी दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है।

स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली और आसपास के भागों में इस समय हवा का प्रभाव यूं तो बहुत कम है लेकिन इसका रुख उत्तर-पश्चिमी का है जिसके चलते हरियाणा और पंजाब से यह हवाएँ अपने साथ धूँए को भी ला रही हैं। हवा की गति कम होने के कारण धुंध के रूप में दिख रहे प्रदूषण के कण दिल्ली के वातावरण में बने हुए हैं साथ ही कम तापमान और अधिक आर्द्रता के चलते भी इस स्थिति में बढ़ोत्तरी हो रही है।

दिल्ली और आसपास के शहरों में अगले 2-3 दिनों के दौरान व्यापक प्रदूषण की स्थिति से निज़ात मिलने के संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं। उत्तर भारत के करीब एक पश्चिमी विक्षोभ आता दिखाई दे रहा है जो 4 नवंबर से पहाड़ी भागों को प्रभावित कर सकता है। साथ ही राजस्थान पर एक एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना हुआ है। इन दोनों सिस्टमों के चलते अगले 2-3 दिनों तक हवा की गति में बढ़ोत्तरी नहीं होगी जिससे प्रदूषण बना रहेगा। मौसमी परिदृश्य का आंकलन कहता है कि हवा की गति 6 नवंबर से बढ़ेगी और तभी कुछ राहत की उम्मीद कर सकते हैं।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जब तक हवा की गति 15 से 25 किलोमीटर नहीं होगी तब तक धुंध और कुहासे के रूप में बना प्रदूषण छँटने वाला नहीं है। विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा तय मानक के अनुसार पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 10 के आसपास होना चाहिए जबकि दिल्ली में यह औसत 122 है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली 11वें नंबर पर आता है।

Image credit: Hindustan Times

 






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