दीपों का पर्व दीपावली भक्ति और उल्लास के संगम का त्यौहार है। दीपावली के उत्सव में समूचा देश उत्साह और आनंद में सराबोर होता है। इस त्यौहार के संदर्भ में दिल्ली सहित उत्तर भारत के मौसम को देखें तो यह इस समय अनुकूल नहीं है। दिल्ली में हवा की गति कम हो गई है जिसका प्रभाव मौसम और वातावरण पर देखा जा सकता है। कुछ दिनों पहले तक यहाँ चल रही मध्यम शुष्क और शीतल उत्तर-पश्चिमी हवाओं के प्रभाव से ना सिर्फ मौसम में ठंडक बढ़ गई थी बल्कि वातावरण भी साफ बना हुआ था।
हालांकि उत्तर भारत के मैदानी भागों में हवा का रुख अभी भी उत्तर-पश्चिमी है लेकिन इसका प्रभाव ना के बराबर है यानि हवा कम है जिससे वातावरण में प्रदूषण के कण बढ़ते हुए नज़र आने लगे हैं। आमतौर पर शुष्क हवा वातावरण के निचले स्तर पर धूँए और प्रदूषण के कणों को रुकने नहीं देती जिससे समूचा परिदृश्य बिलकुल साफ नज़र है, जैसा कि कुछ दिनों पहले तक यहाँ बना हुआ था।
अगले 2-3 दिनों के दौरान मौसम में किसी बदलाव के आसार नहीं हैं। दिल्ली वाले सुबह की ठंडक और रात के सुहावने मौसम का आनंद ले सकते हैं। दिन में भी साफ आसमान के बीच मौसम सहज बना रहेगा। न्यूनतम तापमान में हल्की कमी दर्ज की जा सकती है। लेकिन आने वाले दिनों में वातावरण में बनी धुंध और प्रदूषण चिंता का विषय हैं क्योंकि दीपावली के कुछ दिन पहले से दीपावली के कुछ दिन बाद तक दिल्ली वाले जमकर आतिशबाज़ी की प्रतिस्पर्धा में लगे रहते हैं जो इस प्रदूषण में बेतहासा वृद्धि करेगा।
विभिन्न प्रकार के उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धूँआ और शुष्क मौसम के चलते निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल के साथ-साथ पटाखों का धूँआ स्वास्थ्य के लिए किसी गंभीर चुनौती से कम नहीं होंगे। साँस संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे लोगों के लिए अगले 2-3 दिन काफी मुश्किलों भरे हो सकते हैं। मौसम भी विभिन्न प्रकार के प्रदूषण कारकों को दूर करने में नहीं बल्कि इनके बने रहने में मदद कर रहा है। इसलिए समझदारी इसी में है कि दिवाली की खुशियाँ मनाएँ लेकिन दूसरों के स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं। पर्यावरण की भी चिंता करें ताकि सब खुशहाल रहें।
Image credit: Webpothi
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