उत्तर में आए पश्चिमी विक्षोभ की मेहरबानी से दिल्ली वालों को पिछले 3-4 दिनों से ना सिर्फ कोहरे से राहत मिली बल्कि प्रदूषण के स्तर में भी काफी कमी आई है। पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पहाड़ों पर 11 से 13 दिसम्बर के बीच अच्छी बर्फबारी देने के बाद आगे निकल गया है। बर्फबारी के चलते उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में हवाओं के रूख में तेज़ी से बदलाव आया। यह हवाएँ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से लेकर उत्तरी मध्य प्रदेश तक पहुँच रही हैं, जिससे इन भागों के दिन और रात के तापमान में तेज़ी से गिरावट देखने को मिली।
उत्तर से आने वाली इन सर्द हवाओं के चलते तापमान गिरने से मैदानी राज्यों से लेकर पूर्वी और मध्य भागों तक सर्दी बढ़ गई है। पश्चिम से आने वाली हवाओं में नमीं, पूर्वी हवाओं की अपेक्षा कम होती है जिससे बीते कई दिनों से दिल्ली के वातावरण में छाई धुंध साफ हो गई है। हालांकि वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के आंकड़ों को अगर देखें तो दिल्ली की हवा में प्रदूषण ऊपरी स्तर पर अभी भी बना हुआ है।
हवा में प्रदूषण को मापने के दो पैमाने हैं, एक पर्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और दूसरा पर्टिकुलेट मैटर (PM) 10 है। मंगलवार, 15 दिसम्बर को दिल्ली में पर्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 का स्तर 317 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर था, जिसमें बुधवार को कुछ बढ़ोत्तरी होगी और यह 325 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर या उससे अधिक रिकॉर्ड किया जा सकता है।
स्काइमेट के अनुसार 16 दिसम्बर से उत्तर भारत में दक्षिण पूर्वी हवाएँ चलेंगी, जिनमें आर्द्रता यानि नमी अपेक्षाकृत अधिक होती है। हवा में नमी बढ़ने से प्रदूषण के कण वातावरण की निचली सतह में ही बने रह जाते हैं, जो कुहासे और कोहरे में मिलकर लोगों को प्रभावित करते हैं। गुरुवार यानि 17 दिसम्बर को दिल्ली और आसपास के भागों में घना कोहरा छाने की संभावना है जिससे 17 दिसम्बर को प्रदूषण का स्तर भी निचली सतह पर काफी अधिक हो सकता है।
हालांकि इसमें राहत की बात यह है कि शुक्रवार से दिल्ली और आसपास के भागों में फिर से हवा का रूख बदलकर पश्चिमी हो सकता है जिससे वातावरण एक बार फिर से साफ हो जाएगा और प्रदूषण के स्तर में भी दोबारा सुधार देखने को मिलेगा।
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