बीते कुछ दिनों से दिल्ली में लोग अपेक्षाकृत साफ हवा में सांस ले पा रहे थे क्योंकि उत्तर और उत्तर-पश्चिम से आ रही हल्की से मध्यम शुष्क हवाओं के चलते यहाँ धुआँ और धुंध के रूप में बना प्रदूषण कुछ हद तक साफ हुआ था। लेकिन बृहस्पतिवार की दोपहर से ही हवा की गति मंद पड़ने लगी है जिसके चलते प्रदूषण रूपी दैत्य फिर से अपना सिर उठाने लगा है।
बृहस्पतिवार की सुबह भी दिल्ली और इसके आसपास के भागों में कहीं हल्की तो कहीं घनी धुंध के छाई रही। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 2 दिनों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में लोगों को 3-4 दिनों के पहले वाली स्थिति का फिर से सामना करना पड़ सकता है। धुंध और कुहासे में 7 नवम्बर की शाम से स्थिति में सुधार आया था क्योंकि हवा की गति मध्यम हो गई थी और लगभग 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी परिणामस्वरूप प्रदूषण से 10 नवंबर की सुबह तक राहत बनी रही।
हवा की गति में कल से ही कमी आ गई है जिसके चलते प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है। यह परिवर्तन जम्मू कश्मीर के पास पहुँचने वाले एक पश्चिमी विक्षोभ के चलते देखा जा रहा है। इसी सिस्टम के प्रभाव से मध्य पाकिस्तान और उससे सटे पंजाब और हरियाणा पर एक चक्रवाती क्षेत्र भी बन गया है। यह दोनों सिस्टम तेज़ उत्तर-पश्चिमी हवाओं को मैदानी भागों में आने से अगले 2 दिनों तक रोकेंगे, जिससे उत्तर के मैदानी क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिमी या दक्षिण-पूर्वी हवाएँ चलने लगेंगी। इस बदलाव के कारण प्रदूषण के कण हवा में बने रहेंगे। शनिवार और रविवार को दिल्ली वालों को प्रदूषण से बचाव करने की ज़रूरत होगी।
दिल्ली और इसके आसपास के शहरों में इस समय प्रदूषण का स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है। नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर 433 पर जा पहुंचा जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के पास 413, पूसा में 385, पीतमपुरा में 398, दिल्ली हवाई अड्डे पर 346 और मथुरा रोड पर 388 पर है।
हालांकि अगले 2 दिनों के दौरान संभावित प्रदूषण की स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं होगी जतनी पिछले दिनों थी क्योंकि पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब के किसानों ने खेतों में धान की फसल को जलाना बंद कर दिया है। साथ ही उत्तर भारत से पश्चिमी विक्षोभ के आगे निकलते ही 14 नवंबर से पुनः शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं का प्रवाह बढ़ेगा जिससे धुआँ धीरे-धीरे साफ होने लगेगा।
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