दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। सर्दियों में देश की राजधानी की हवा और खराब हो जाती है। यह ऐसा समय होता है जब हवा में नमीं अधिक होने के कारण प्रदूषण के कण निचली सतह पर बने रह जाते हैं। सर्दियों के दिनों में लोग अपेक्षाकृत अधिक समय तक बाहर रहना पसंद करते हैं क्योंकि गुनगुनी धूप लोगों को बाहर खींचने पर विवश करती है। अब चूंकि सर्दी बढ़ रही है इसलिए हमें हवा में प्रदूषण को कम करने पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है।
जर्मनी की एक संस्था मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ केमिस्ट्री ने हाल ही में एक अध्ययन किया है जिसके निष्कर्ष बेहद डरावने हैं। अध्ययन के अनुसार दिल्ली में खराब और प्रदूषित हवा के चलते 2025 तक 30,000 लोग असमय मृत्यु का शिकार हो सकते हैं। यह आंकड़े दुनिया भर के प्राकृतिक और मौसम वैज्ञानिकों की चिंताओं को प्रतिध्वनित करते हैं। दिल्ली को अपने पर्यावरण की गुणवत्ता सुधारने के लिए शीघ्र कोई ठोस और अर्थपूर्ण कदम उठाने की ज़रूरत है।
वैज्ञानिकों का भी मानना है कि दिल्ली में सर्दियों में प्रदूषण बढ़ जाता है। प्रदूषण फैलाने वाले कण वातावरण की निचली सतह में बने रहने के कारण बाहर ही नहीं बल्कि घरों के भीतर भी पहुँच कर लोगों को प्रभावित करते हैं। सर्दी के अलावा बाकी मौसमों में हवा या तो गर्म होती है या हवा में नमीं कम होती है जिससे प्रदूषण फैलाने वाले कण आसानी से निचली हवा से निकल जाते हैं।
तेज़ हवा के झोंके या लगातार 2-3 दिनों की बारिश के चलते यह प्रदूषण के कण साफ हो जाते हैं। लेकिन सर्दियों के समय में प्रायः ना तो बारिश होती है और ना ही तेज़ तूफान चलता है जिससे सर्दियों में प्रदूषण की एक परत दिल्ली और आसपास के भागों पर बनी रहती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। स्काइमेट आपसे आग्रह करता है कि खराब होते पर्यावरण के मद्देनजर स्वास्थ्य के लिए बढ़ते गंभीर खतरे से बचने के लिए जो भी संभव हो अपने स्तर पर अवश्य करें।
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