यह हम सब जानते हैं कि वायु प्रदूषण फेफड़े सहित सांस संबंधी अन्य बीमारियों को बढ़ा देता है। लेकिन इसके दुष्प्रभावों की सीमा यहीं समाप्त नहीं होती। हाल ही में किए गए कुछ अध्ययनों की अगर मानें तो प्रदूषित वायु के शरीर में अत्यधिक प्रवेश के चलते मोटापा और मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है।
अमरीका के ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बीजिंग की प्रदूषित हवा में रखे गए चूहों पर एक अध्ययन किया। शोध में निष्कर्ष निकला कि प्रदूषित हवा के बीच रखे गए गर्भवती चूहों के ऊतकों में प्रज्जवलन बढ़ गया साथ ही उनके फेफड़े और लीवर का वजन भी अधिक हो गया। इन चूहों में ना केवल सांस संबंधी समस्या बढ़ी बल्कि इनका वज़न बढ़ा और इनके कोलेस्ट्रॉल की मात्र में भी इजाफा हुआ।
यही नहीं स्वच्छ हवा में सांस लेने वाले चूहों की तुलना में प्रदूषित हवा में रखे गए चूहों में इंसुलिन प्रतिरोधी स्तर अधिक पाया गया जो कि टाइप-2 डायबिटीज़ का अगुआ माना जाता है। यहाँ तक कि प्रदूषित हवा में रहने वाले चूहों का वज़न भी 10 से 18 प्रतिशत तक अधिक पाया गया जबकि दोनों स्थानों पर चूहों का खानपान समान था।
इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रदूषित हवा में कम समय रहने वाले की अपेक्षा अधिक समय रहने वाले के शरीर पर इसके अत्यधिक भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं। मोटापा जैसी समस्या से लड़ रहे लोगों के लिए यह निष्कर्ष और डरावने हो सकते हैं। हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा और स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए वायु प्रदूषण को कम करने के लिए व्यापक कदम उठाने की आवश्यकता है।
फेडरेशन ऑफ अमेरीकन सोसाइटीज़ फॉर एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन से यह भी निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि खुली और प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति भी सांस संबंधी बीमारियों के साथ साथ मधुमेह और मोटापा जैसी समस्याओं का भी शिकार हो सकता है।
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