स्काइमेट के मौसम पूर्वानुमानों के अनुसार पिछले कुछ दिनों के दौरान देश के अधिकांश राज्यों में एक साथ मौसमी हलचल बढ़ गई थी। मैदानी भागों में कहीं हल्की से मध्यम तो कहीं मध्यम से भारी वर्षा तो पर्वतीय राज्यों में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई। उत्तर भारत के राज्यों में जहां बारिश से लोगों के चेहरे खिल उठे वहीं मध्यम भारत में बारिश बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया।
उत्तर भारत में पहाड़ों पर लंबे समय बाद अच्छी बर्फबारी दर्ज की गई। 11 फरवरी से 14 फरवरी के बीच जम्मू कश्मीर में श्रीनगर से उत्तराखंड में औली तक अच्छी बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई। मैदानी भागों में पंजाब के कुछ स्थानों पर तेज़ हवाओं और गर्जना के साथ भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई। वर्तमान सर्दी में अब तक की सबसे अधिक बारिश का दौर भी यही था।
उत्तर भारत के शेष मैदानी राज्यों उत्तरी राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। हालांकि इस दौरान दिल्ली और इसके आसपास के शहरों में लोग इंतज़ार ही करते रह गए और आसपास के भागों में बरस कर बादल कहीं और निकल गए। हालांकि इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने बादल और ठंडी हवाओं ने मौसम का रुख ज़रूर बदला था।
बारिश पूर्वी भारत के राज्यों में हुई। इस दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में भी कुछ स्थानों पर अच्छी बारिश दर्ज की गई। आंतरिक ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा की गतिविधियां देखने को मिली। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
स्काइमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ एवीएम रिटायर्ड, जीपी शर्मा के अनुसार उत्तर भारत के भागों में हुई बारिश इस सीज़न के अनुरूप थी क्योंकि आमतौर पर सर्दियों में पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी भागों में बारिश फरवरी के आखिर तक होती रहती है। जबकि मध्य भारत के भागों में कई दिनों तक बारिश का लंबा दौर उम्मीद से अलग था।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ना सिर्फ भारी बारिश ही बल्कि कई जगहों तूफानी हवाओं के साथ भारी ओलावृष्टि भी हुई। एक-दो स्थानों पर बिजली गिरने की घटनाएँ भी हुई हैं। विदर्भ और मराठवाड़ा के कुछ भागों में दो दिन ओले पड़े। कुछ हिस्सों में लगभग 30 मिनट तक ओलावृष्टि होती रही जिससे भारी नुकसान हुआ है।
मध्य भारत के राज्यों में बारिश के साथ हुई भारी ओलावृष्टि के चलते बड़े पैमाने पर फसल चौपट हुई है। महाराष्ट्र राज्य के 11 जिलों में 1106 गावों में 2 लाख हेक्टेयर में फसलों को नुकसान पहुंचा है। बुलढाणा, अमरावती और जालना सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। महाराष्ट्र में इस समय गेहूं, चना, ज्वार, प्याज़, केले और अंगूर तथा सब्जी की खेती होती है।
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मध्य प्रदेश सबसे बड़ा चना और गेहूं उत्पादक राज्य है। मध्य प्रदेश में सीहोर, हरदा और देवास में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। राज्य के लगभग 400 गाँवों पर मौसम की मार पड़ी है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बारिश और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की संभावना पहले ही जताई गई थी लेकिन मौसम इतना भयानक रूप धरण कर लेगा इसका अंदाज़ा नहीं था। पिछले दिनों की मौसमी हलचल का असर गुजरात, पश्चिमी राजस्थान और कोंकण गोवा में देखने को नहीं मिला। इन भागों में मौसम शांत रहा।
पूर्वानुमान
अब बारिश की गतिविधियां महज़ उत्तर भारत के पहाड़ों तक ही सिमट गई हैं। अगले कुछ दिनों के दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर वर्षा और बर्फबारी की संभावना है। ऊपरी असम और नागालैंड में भी अगले कुछ दिनों के दौरान अच्छी वर्षा होने के आसार हैं।
उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी भागों और मध्य भारत के राज्यों में मौसम साफ़ और शुष्क बना रहेगा। रात और सुबह के समय सामान्य सर्दी रहेगी जबकि दिन में मौसम सहज होगा। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में दोपहर में मौसम गर्म और उमसभरा रहेगा। रात का मौसम शीतल और खुशनुमा होगा। दिल्ली, लखनऊ और बंगलुरु में भी शुष्क और सुहावना मौसम जारी रहेगा।
Image credit: Hindustan Times
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