उत्तर भारत की पहाड़ों पर दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2018 ने इस बार एक ही झटके में दस्तक दी। मॉनसून के आगमन से पहले से ही पर्वतीय राज्यों में प्री-मॉनसून वर्षा तेज हो गई थी। प्री-मॉनसून वर्षा और मॉनसून के आने के बाद अच्छी वर्षा के चलते जून महीने में जम्मू कश्मीर में सामान्य से 64% अधिक और हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 24% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई। हालांकि उत्तराखंड में जून में कम बारिश हुई और आंकड़ा सामान्य से 3% नीचे रहा।
जम्मू कश्मीर में मॉनसून सिस्टम पर्याप्त बारिश देने में सक्षम नहीं होते हैं और ना ही पश्चिमी विक्षोभ मॉनसून सीज़न की पर्याप्त बारिश दे पाते हैं। आमतौर पर दोनों सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से राज्य में अच्छी बारिश होती है। जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मॉनसूनी हवाओं का असर ज्यादा होता है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते भी इन राज्यों में बारिश होती है।
जुलाई महीने में जम्मू कश्मीर में अच्छी बारिश कई बार हुई जिसके चलते राज्य के कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात रहे। लेकिन मॉनसून सीजन के दो महीने बीत जाने के बाद यह कहा जा सकता है कि तीनों पर्वतीय राज्यों में भीषण बारिश इस मॉनसून सीज़न में अब तक नहीं हुई है। मॉनसून के इस पड़ाव पर अब ऐसी भयानक बारिश की आशंका भी कम है।
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जून में जहां जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश हुई थी वहीं 10 जुलाई आते-आते इसमें कमी आई और आंकड़ा जम्मू कश्मीर में सामान्य से 23% ऊपर रह गया जबकि हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 2% नीचे पहुँच गया। उत्तराखंड में भी बारिश में कमी आई और सामान्य से 12% कम रही।
इस समय तीनों पर्वतीय प्रांतों में बारिश सामान्य से नीचे पहुंच गई है। आने वाले दिनों में भी बारिश में बहुत बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। पहाड़ी राज्यों के तराई क्षेत्रों विशेषकर जम्मू, सुरेंद्रनगर, उना, शिमला, देहरादून, नैनीताल और मसूरी सहित आसपास के भागों में बारिश देखने को मिलेगी जबकि बाकी हिस्सों में कम बरसेंगे मॉनसूनी बादल।
Image credit: IndiaMike
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