दिल्ली में लंबे समय से ठंडी और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चल रही थीं। इन हवाओं के चलते एक ओर ना सिर्फ कोहरे से राहत मिली थी बल्कि दिन में भी अच्छी धूप सर्दी के मौसम को खुशनुमा बना रही थी। इस बीच राजधानी सहित उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में ऊपरी सतह पर बदलाव दिखाई दे रहा है। पिछले 24 घंटों के दौरान ऊपरी सतह में लगभग 10 से 20 हज़ार किलोमीटर की ऊंचाई के बीच उत्तर पश्चिमी हवाएँ बदलकर अब दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ चल रही हैं।
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दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ अपने साथ अरब सागर से नमी ला रही हैं जिससे ऊंचाई वाले बादल विकसित हुए हैं। हालांकि 10 हज़ार फिट की ऊंचाई पर बनने वाले यह बादल बारिश नहीं देते हैं। मौसम विज्ञान की भाषा में 10 हज़ार फिट पर बनने वाले बादलों को एल्टोस्ट्रेटस बादल कहा जाता है। 20 हज़ार फिट की ऊंचाई पर जो बादल बनते हैं उन्हें साइरस बादल कहा जाता है।
इन बादलों से बारिश तो नहीं होती लेकिन तापमान में बदलाव देखने को मिलता है। स्काइमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ महेश पालावत के अनुसार इन बादलों के चलते लॉन्ग वेब रेडियेशंस यानि धरती से निकलने वाली गर्मी वायुमंडल में निकल नहीं पाती है जिससे दिन की गर्मी रात में भी बनी रहती है और न्यूनतम तापमान गिरने की बजाए बढ़ जाता है। राजधानी दिल्ली में शुक्रवार की सुबह न्यूनतम तापमान बढ़कर 8 डिग्री पर पहुँच गया। दिल्ली में गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
दिल्ली और इससे सटे शहरों नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद सहित गुजरात और राजस्थान पर भी ऊंचाई वाले बादल छाए हुए हैं। अनुमान है कि 12 और 13 जनवरी को इसी तरह से आंशिक तौर पर बादल बने रहेंगे जिससे न्यूनतम तापमान में और वृद्धि दर्ज की जा सकती है। मौसम शुष्क ही बना रहेगा। इन बादलों को देखकर बारिश की उम्मीद करने का कोई फायदा नहीं है। मकर संक्रांति यानि 14 जनवरी से फिर से हवा बदलकर उत्तर-पश्चिमी हो जाएगी जिससे राष्ट्रीय राजधानी सहित मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान में 1-2 डिग्री की गिरावट होगी।
Image credit: The Indian Express
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