दक्षिणी राज्यों, विशेषकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में मुख्य बारिश नॉर्थईस्ट मॉनसून से होती है। इस वर्ष नॉर्थईस्ट मॉनसून के आगमन में कुछ देरी होने की संभावना है। नॉर्थईस्ट मॉनसून समान्यतः 20 अक्टूबर को शुरू होता है। कभी-कभी इसके आगमन में सामान्य समय से लगभग एक हफ्ते की देरी हो जाती है या कभी इसका आगमन एक हफ्ते पहले ही हो जाता है।
आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अक्टूबर के मध्य में होने वाली बारिश की गतिविधियों से नॉर्थईस्ट मॉनसून की शुरुआत मानी जाती है। बंगाल की खाड़ी में बनने वाले मौसमी सिस्टम और अरब सागर से बंगाल की खाड़ी तक बनने वाले ट्रफ से तमिलनाडु और तटवर्ती आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश होती है। जबकि इस बार बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर थे और यह प्रायद्वीपीय भारत में अच्छी बारिश देने में नाकाम रहे।
पश्चिमी प्रशांत महासागर में बन रहा कोप्पू टाइफून फिलीपीन्स की तरफ बढ़ रहा है, उसके बाद यह तेज़ी से जापान का रूख करेगा। यह हवा के प्रवाह को दूर कर रहा है। इसी के प्रभाव से हवा बदलकर उत्तर-पूर्वी नहीं हो पा रही है। संक्षिप्त में कह सकते हैं कि भारत के पूर्वी तटीय भागों पर अभी भी दक्षिण-पश्चिमी हवा का प्रभाव बना हुआ है। तटों पर उत्तर पूर्वी हवा अभी कमजोर है। वर्तमान मौसमी परिदृश्य संकेत दे रहा है कि नॉर्थईस्ट मॉनसून में विलंब संभावित है।
स्काइमेट के अनुसार भारत में नॉर्थईस्ट मॉनसून यानि उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन के लिए हवा के प्रवाह में बदलाव आवश्यक है, जिसमें अभी और समय लग सकता है।
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