उत्तर प्रदेश में बीते दिनों हुई भारी बारिश और नेपाल हुई मूसलाधार वर्षा के चलते राज्य के तराई वाले जिलों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश की कई नदियों में जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुँच गया है। जिससे निपटने के लिए संबन्धित एजेंसियां अलर्ट पर हैं।
भारी बारिश का असर उत्तरी जिलों रामपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज और कुशीनगर सहित आसपास के भागों में सबसे अधिक दिखा है। बारिश का पिछला झोंका सबसे पहले गोरखपुर में आया और शहरों से लेकर गाँव तक निचले इलाके जलमग्न हो गए और नदियों में पानी ऊपर पहुँच गया। इन भागों में अगले 24 से 48 घंटों तक हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है।
दूसरी ओर आगरा, मेरठ, अलीगढ़, मथुरा, बांदा, कानपुर, इलाहाबाद सहित दक्षिणी भागों में भी पिछले दिनों कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बौछारें दर्ज की गईं। इन दक्षिणी जिलों में बारिश में कमी आ गई है क्योंकि बारिश दे रही मॉनसून की अक्षीय रेखा कमजोर हो गई है। इस समय मॉनसून ट्रफ अनुपगढ़, हिसार, नरनौल, अलीगढ़, बहराइच होते हुए गुज़र रही है।
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इस बदलाव के बीच बंगाल की खाड़ी से उठने वाली दक्षिण-पूर्वी आर्द्र हवाएँ राज्य तक नहीं पहुँच पा रही हैं जिससे बारिश में कमी रहेगी। कुछ इलाकों विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चलेंगी और धूप खिली रहेगी। हालांकि छिटपुट बादल भी देखे जा सकते हैं। राज्य के अधिकतर शहरों में तापमान में वृद्धि होने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश में 9-10 जुलाई से मॉनसून के फिर से सक्रिय होने की संभावना दिखाई दे रही है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बंगाल की खाड़ी पर एक सिस्टम बनेगा जो धीरे-धीरे पश्चिमी दिशा में बढ़ेगा और उत्तर प्रदेश को प्रभावित करेगा।
Image credit: Lokmat Hindi
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