सर्दियों का मौसम आते ही दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पराली जलाने के अलावा वाहनों से होने वाले प्रदूषण के कारण बेहद खराब स्थिति हो गई है।
भारत में पराली जलने के बाद पहले ही दिल्ली बेहद खराब स्थिति पर है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक 420 पर पहुंच गाय है, हाल ही में पाकिस्तान का लाहौर भी पीड़ितों की सूची में शामिल हो गया है।
लाहौर में मध्यम धुंध का विकास शुरू हो गया है जिससे अब खराब वायु गुणवत्ता बताई जा रही है।
मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पहले कहा था कि लाहौर में वायु गुणवत्ता सूचकांक कल सुबह 10 बजे तक 484 तक पहुंच गया था, जबकि वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के लिए सीमा 300 है।
हवा की गुणवत्ता कम होने के पीछे का कारण रात में कम तापमान, नमी और शांत हवाएँ है, जो योगदान देने वाले प्रदूषकों को बसने की अनुमति दे रहा है।
बता दें कि, ये प्रदूषक ज्यादातर भारतीय पंजाब के किसानों द्वारा उत्पन्न किए जा रहे हैं क्योंकि वे बड़े पैमाने पर फसल अवशेषों को जलाते रहते हैं, जो बाद में सटे क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं। इससे पहले, नासा ने सैटेलाइट तस्वीरों को दिखाया था जिसमें पूर्वी पंजाब के शहरों जैसे अमृतसर और जालंधर में भारी फसल अवशेषों को जलाया गया था। लाहौर में प्रदूषण का स्थानीय योगदान सिर्फ 20 फीसदी है।
हालांकि स्थानीय अधिकारी जल्द ही पुनरुद्धार का संकेत दे रहे हैं, क्योंकि मौसम विशेषज्ञों ने इस शहर में तेज हवाओं और बारिश की ओर संकेत किया है। जिससे क्षेत्र में राहत मिलेगी।
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सरकार ने बताया है कि धुंध में स्थानीय योगदान को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं।
Image credit: Laurence Ourac
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