आमतौर पर सर्दियों में उत्तर भारत के मैदानी इलाके जहां बर्फबारी से सफ़ेद हो जाते हैं वहीं मैदानी राज्यों में बारिश से ना सिर्फ फसलें लहलहाती हैं बल्कि सर्दी का प्रभाव भी बारिश से ही बढ़ता है। लेकिन इस बार की सर्दी में अब तक दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में मौसम मुख्यतः शुष्क ही बना रहा है। उत्तर भारत में आने वाले पश्चिमी विक्षोभ और उसके प्रभाव से मैदानी भागों में बनने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के चलते बारिश होती है लेकिन इस बार अब तक ना तो कोई सशक्त पश्चिमी विक्षोभ आया है और ना ही मैदानी राज्यों में कोई सक्रिय चक्रवाती सिस्टम बना है।
ज़ाहिर है जब पहाड़ों पर बर्फ नहीं पड़ेगी तो मैदानों में सर्दी अपेक्षा से कम पड़ेगी। हालांकि बीते दिनों में पंजाब और हरियाणा के उत्तरी इलाकों में छिटपुट जगहों पर हल्की वर्षा रिकॉर्ड की गई है। इस बीच वर्तमान मौसमी परिदृश्य संकेत कर रहा है कि एक प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है। इस सिस्टम के चलते जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 3 से 7 जनवरी के बीच मध्यम से भारी बर्फबारी हो सकती है।
पश्चिमी विक्षोभ के चलते हरियाणा पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित होने की संभावना है। इन दोनों सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बौछारें गिर सकती हैं। इस दौरान उत्तरी राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में भी कुछ स्थानों पर वर्षा होने की संभावना है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी 6 और 7 जनवरी को इस सर्दी की पहली बारिश देखने को मिल सकती है।
पहाड़ों पर संभावित व्यापक बर्फबारी और मैदानी इलाकों में अच्छी बारिश के चलते न्यूनतम तापमान में 3-4 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट हो सकती है जिससे कड़ाके की ठंड की झलक इन भागों में देखने को मिल सकती है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि 8 जनवरी के बाद उत्तर के मैदानी इलाकों में कई जगहों पर सुबह का तापमान 5 डिग्री से भी नीचे जा सकता है।
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