दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देश के सभी भागों से वापस लौट चुका है। इस बीच प्रायद्वीपीय भारत में 30 अक्टूबर को उत्तर पूर्वी मॉनसून का आगाज़ हो गया है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून आमतौर पर 20 अक्टूबर तक प्रायद्वीपीय भारत में दस्तक दे देता है। यानि कि 20 अक्टूबर ही उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन की सामान्य तारीख है। इस वर्ष जैसे दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी में देरी हुई उसी तरह से उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन भी विलंब से हुआ है।
पूरे 10 दिन की देरी से उत्तर पूर्वी मॉनसून शुरू होने के चलते इस बात की संभावना है कि आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक और तमिलनाडु में बारिश में कमी रहेगी। इन राज्यों में सबसे व्यापक वर्षा अक्टूबर से दिसम्बर की 3 महीनों की अवधि में उत्तर-पूर्वी मॉनसून के प्रभाव से ही दर्ज की जाती है।
तमिलनाडु में बीते 2 दिनों से कुछ स्थानों पर बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान मौसमी परिदृश्य के संकेत हैं की आने वाले दिनों में तमिलांडु के कई भागों में बादल छाए रहने और हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। कर्नाटक के आंतरिक हिस्सों में भी कुछ स्थानों पर वर्षा हो सकती है।
आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में बारिश के साल भर के आंकड़ों की तुलना अगर करें तो यहाँ कुल बारिश की 60 फीसदी मात्र उत्तर-पूर्वी मॉनसून के समय ही प्राप्त होता है। तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में उत्तर-पूर्वी मॉनसून के शुरू होने के साथ ही इन भागों में हवाओं का रुख पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हो जाता है और यह हवाएँ दिसम्बर तक जारी रहती हैं। कुछ समय पहले तक इस दौर को मॉनसून के पश्चात होने वाली बारिश कहा जाता था जबकि अब इस उत्तर-पूर्वी मॉनसून सीजन कहा जाता है।
Image Credit: Livemint
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